TNP DESK- बिहार चुनाव की चर्चा जितनी बिहार में हो रही है, उससे कम झारखंड में भी नहीं हो रही है.  झारखंड का धनबाद तो "मिनी बिहार" कहा जाता है.  ऐसे में यहां बिहार चुनाव की चर्चा होना बहुत ही स्वाभाविक है.  सोमवार तक लोग चुनाव की तिथियां और चरण की प्रतीक्षा कर रहे थे, लेकिन अब तो इसकी घोषणा हो भी गई है.  दो चरणों में ही बिहार में चुनाव हो रहे हैं और यह पहला मौका है कि झारखंड अलग होने के बाद बिहार में दो चरणों में चुनाव हो रहा है.  लोग बताते हैं कि 1985 में बिहार में दो चरणों में चुनाव हुआ था.  उस समय झारखंड बिहार में ही था और कुल विधानसभा सीटों की संख्या 324 थी.  

झारखंड अलग होने के बाद पहली बार हो रहा दो चरणों में चुनाव 

उसके बाद नवंबर 2000 में झारखंड अलग हुआ, तो बिहार विधानसभा की सीट  घटकर 243 हो गई. जानकार  बताते हैं कि बिहार में 6 चरण तक के चुनाव हुए है.  2010 में 6 चरण के चुनाव हुए थे.  2020 में तीन चरणों में चुनाव हुए थे.  इस बार का चुनाव बहुत खास है.  इसलिए भी खास है कि घुसपैठियों के मुद्दे, वोट चोरी के मुद्दे और अपने बच्चों की शिक्षा के लिए वोट की अग्नि परीक्षा होने जा रही है.  बिहार में अगर एनडीए को बहुमत मिल जाता है, तो स्वाभाविक तौर पर वोट चोरी का यह कथित आरोप खुद खत्म हो जाएगा.  वहीं अगर महागठबंधन को बहुमत मिला तो घुसपैठियों का मुद्दा भी गौण  हो जाएगा. भाजपा घुसपैठियों के मुद्दे को उठा रही है तो कांग्रेस वोट चोरी के आरोप पर रेस है.  जनसुराज की  की स्ट्रैटेजी अगर सफल नहीं हुई, तो यह मान लिया जाएगा कि  बिहार जातीय राजनीति से ऊपर अभी तक नहीं उठा है. 

आने वाले दिनों में इन प्रदेशों में होने है चुनाव 
 
आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल जैसे राज्यों में चुनाव होने है.  ऐसे में बिहार चुनाव का परिणाम मुद्दों की अहमियत को साबित करेगा.  यहां बता दें कि  बिहार चुनाव के परिणाम राष्ट्रीय बहस के के मुद्दे हो सकते है.  पिछले कुछ विधानसभा चुनाव से  महिलाओं पर  फोकस करने की परिपाटी चल पड़ी है.  बिहार में भी नीतीश कुमार की सरकार ने यह काम किया है.  अब देखना है कि सरकार के इस प्रयास का कितना फायदा चुनाव में होता है.  यह बात अलग है कि  प्रशांत किशोर के भ्रष्टाचार के आरोपी के घेरे में भाजपा और जदयू के मंत्री भी आ गए है.  उन्हें सफाई देते नहीं बन रहा है.  ऐसे में बिहार में भ्रष्टाचार का मुद्दा प्रशांत किशोर चाहे जितना भी उठा ले, अन्य दल इससे  परहेज करने की ही कोशिश करेंगे.  

2020 के चुनाव में कौन कितनी सीटों पर लड़कर दिखाया था दम 

2020 के चुनाव पर अगर नजर डाला जाए तो भाजपा 110 सीटों पर लड़कर  74 जीती थी.  जदयू 115 सीटों पर लड़कर  45 सीट जीत पाया था.  राजद  144 सीटों पर लड़कर  75 सीट जीत पाया था.  कांग्रेस 70 पर लड़ी और  केवल 19 ही जीत पाई थी.  यह अलग बात है कि एनडीए  में भी सहयोगी दलों की सूची लंबी है तो महागठबंधन में भी सूची कम लंबी नहीं है.जदयू और राजद को अपने कोटे की सीटें सहयोगी दलों को देनी पड़ सकती है. भाजपा को भी कुछ त्याग करना पड़  सकता है. 
 
जदयू को भरोसा है कि चिराग पासवान की पार्टी का वोट शिफ्ट होगा 
  
जदयू को भरोसा है कि चिराग पासवान की पार्टी का वोट इस बार उसे   मिल सकता है.  लेकिन यह अभी सिर्फ आकलन है.  चिराग पासवान की पार्टी का कितना वोट जदयू और भाजपा में शिफ्ट करेगा, यह देखने वाली बात होगी.  2020 में चिराग पासवान की पार्टी अलग चुनाव लड़ रही थी और कहा गया था कि चिराग पासवान की पार्टी की वजह से ही जदयू को कम सतसत  आई.  वैसे भी बिहार में लगभग 20 सालों से नीतीश कुमार ही राजनीति के केंद्र में है.  2025 उनका आखिरी चुनाव हो सकता है. उल्लेखनीय है कि  बिहार में  दो चरणों में चुनाव की तिथि घोषित हुई है. 

चुनाव का पहला चरण 6 नवंबर को होगा तो दूसरा चरण 11 नवंबर को

पहला  चरण 6 नवंबर को होगा तो दूसरा चरण 11 नवंबर को होगा. परिणाम 14 नवंबर को आएंगे, पहले चरण यानी 6 नवंबर को 18 जिलों में वोटिंग होगी. इनमें गोपालगंज, सिवान, बक्सर, सारण, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, खगड़िया, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय और भोजपुर शामिल है. वहीं दूसरे चरण यानी 11 नवंबर को 20 जिलों में वोटिंग होगी. इन जिलों में पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, भागलपुर, बांका, जमुई, नवादा, गया, जहानाबाद, अरवल, औरंगाबाद, रोहतास और कैमूर शामिल है. 
जानकारी के अनुसार 6 नवंबर को बिहार के 121 सीटों पर वोटिंग होगी, जबकि दूसरे चरण 11 नवंबर को 20 जिलों के 122 सीटों पर चुनाव कराए जाएंगे.  बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही सात राज्यों के आठ विधानसभा के लिए उपचुनाव का भी ऐलान कर दिया गया है.  इसमें झारखंड का घाटशिला उपचुनाव भी शामिल है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो