दुमका (DUMKA): दुमका के बासुकीनाथ में विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला लगा है. सावन के महीने में काफी संख्या में शिव भक्त बिहार के सुल्तानगंज स्थित उत्तरवाहिनी गंगा से जल भर कर देवघर के बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण करते हैं. इसके बाद सभी दुमका के बाबा बासुकीनाथ धाम ज़रूर आते हैं. यहां वे फौजदारी बाबा पर जलार्पण करते हैं. श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा देने के लिए प्रशासन महीने पहले से ही तैयारियों में जुट जाती है. लेकिन एक परेशानी जो प्रत्येक वर्ष श्रद्धालुओं को बासुकीनाथ धाम में उठानी पड़ती है, वह है मोबाइल नेटवर्क की समस्या. श्रद्धालु जैसे ही बासुकीनाथ धाम में प्रवेश करते हैं, उनका मोबाइल नेटवर्क बिलकुल काम नहीं करता है.

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नहीं मिली मुकम्मल व्यवस्था

देवघर और दुमका में लगने वाले श्रावणी मेला को राजकीय श्रावणी मेला का दर्जा प्राप्त है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो इसको लेकर राज्य सरकार और जिला प्रशासन की ओर से मुकम्मल व्यवस्था की जाती है. महीनों पूर्व से मेला की तैयारी शुरू हो जाती है. ताकि यहां आने वाले श्रद्धालु सुगमता पूर्वक जलार्पण कर एक सुखद अनुभूति के साथ अपने घर की ओर रवाना हो सकें. लेकिन मोबाइल नेटवर्क की समस्या हमेशा ही बनी रहती है. श्रद्धालु जैसे ही बासुकीनाथ धाम में प्रवेश करते हैं मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता है. प्रतिदिन हजारों लाखों की भीड़ जुटती है, तो स्वभाविक है कु बूढ़े हो या बच्चे अपनों से बिछड़ जाते हैं. आज के समय में मोबाइल जीवन का अभिन्न अंग हो गया है. इस स्थिति में जब इस भीड़ में मोबाइल नेटवर्क काम न करें तो लोगों की परेशानी को समझा जा सकता है. प्रशासनिक स्तर पर भी श्रद्धालुओं की इस परेशानी को समझा तो जा रहा है, लेकिन उसकी मुकम्मल व्यवस्था नहीं की जा रही है.

होनी चाहिए नेटवर्क की उचित व्यवस्था

मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करने से परेशान श्रद्धालुओं का कहना है कि यहां मोबाइल नेटवर्क नहीं रहने से उन्हें काफी परेशानी होती है. किसी को फोन करना हो या किसी को कुछ संदेश देना हो, तब समस्या ज्यादा बढ़ जाती है. ऐसे में सरकार को नेटवर्क की उचित व्यवस्था करनी चाहिए. वैसे तो मेला में कई जगह प्रशासनिक शिविर लगाया गया है. जहां अनाउंसमेंट की व्यवस्था की गयी है. मकशद है अनाउंसमेंट के जरिए बिछड़े को मिलाना. शिविर में तैनात दंडाधिकारी भी मानते है कि मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करने से लोगों को काफी परेशानी होती है.

रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका