टीएनपी डेस्क (TNP DESK): शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. कलश स्थापना के बाद नवरात्र के चारों दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की गई. इसके बाद 30 सितंबर को नवरात्र का पांचवा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप देवी स्कंदमाता की पूजा की जाएगी. शास्त्रों के अनुसार मां स्कंदमाता शक्ति का स्वरूप है. इनकी उपासना से भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और हर कठिनाई से लड़ने की शक्ति की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि देवी के स्वरूप की पूजा करने समय भक्तों को पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए. इससे भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनकी पूजा से भक्तों अलौकिक तेज और कांति में हो जाते हैं.
मां स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता का स्वरूप बेहद कोमल है. इनका वाहन सिंह है. इनकी चार भुजाएं हैं. मां स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कंद बाल रूप में भी विराजमान है.
केले का भोग है मां स्कंदमाता को प्रिय
नवरात्रि पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा कर उन्हें केले का भोग अवश्य लगाना चाहिए इसके अलावा आप उन्हें खीर का प्रसाद भी अर्पित कर सकते हैं.
स्कंदमाता का मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
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