Patna-सियासी गलियारे में जिस बात की आशंका जतायी जा रही थी, बिहार की सियासत एक दम उसी दिशा में बढ़ती नजर आ रही है, हर गुजरते दिन के साथ भाजपा के इस विजय रथ में विपक्षी दलों के विधायक जुड़ते चले जा रहे हैं, हालांकि दल बदल कानून ना तो इसकी इजाजत देता है और ना ही जिस सियासी सुचिता की बात अटल बिहारी करते रहे थें, उस सियासी सुचिता के पैमाने पर यह खरा उतरता है. लेकिन यह तो नई भाजपा है, इसके पैमाने अलग है, इसकी मर्यादा अलग है, पूरे देश में लोकसभा चुनाव के ठीक पहले विपक्षी विधायकों में  उमड़ता यह अंतरआत्मा की आवाज लोकतंत्र के अंदर कई सवाल खड़े कर रहे हैं, और हालत यह है कि जिन सियासी आदर्शों की बात कभी वाजपेयी और आडवाणी की जोड़ी के द्वारा की जाती थी आज वही आदर्श खुद भाजपा के अंदर ही पानी भरता दिख रहा है, क्योंकि कायदे से इन दल बदल के साथ ही इन विधायकों की सदस्यता समाप्त हो जानी चाहिए थी, लेकिन महाराष्ट्र में जिस प्रकार से दल बदल के बाद भी विधायकों की सदस्यता को विधान सभा अध्यक्ष की छत्रछाया में महफूज रखा गया, अब बिहार की सियासत भी उसी राह पर चलती हुई दिखलायी दे रही है, क्योंकि यह बिल्कूल विधान सभा अध्यक्ष की मर्जी पर निर्भर करता है कि किन बागी विधायकों की किस्मत का फैसला कब लिखना है, यदि वह सत्ता पक्ष का विधायक हुआ, तो दल बदल के साथ ही उसकी सदस्यता चली जायेगी, लेकिन यदि विपक्ष का हुआ तो तारीख पर तारीख का खेल खेला जायेगा. और इस आसरे एक अल्पमत सरकार को भी प्राणवायु देकर खींचा जा सकता है. इस पालाबदल के साथ ही 78 विधायकों वाली राजद 75 पर पहुंच गयी है, जबकि भाजपा का ग्राफ बढता हुआ 81 तक पहुंच गया है.

अब तक छह विधायक पाला बदल चुके हैं, लेकिन नहीं गयी किसी की सदस्यता

यहां याद रहे कि इसके पहले भी राजद कांग्रेस के छह विधायक पाला बदल कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं, इसमें कांग्रेस कोटे से पूर्व मंत्री मुरारी गौतम, विक्रम विधायक सिद्धार्थ सौरभ और मोहनिया विधायक संगीता देवी भी शामिल थी. अब इसी कड़ी में भभुआ विधायक भरत विंद ने भी कमल थामने का एलान किया है. भरत बिंद ने वर्ष 2010 में अपने सियासी जीवन की जिला परिषद के चुनाव में जीत के साथ किया था, उसके बाद 2015 में बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे, लेकिन हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद 2020 में राजद के टिकट पर विधान सभा पहुंचने में कामयाब रहें. इस बीच मोहनिया विधायक संगीता देवी के पाला बदल पर उनके पिता का दर्द झलका है, हिन्दी के कवि और संगीता देवी के पिता कवि शंकर कैमूरी ने बेटी के इस पालाबदल पर दर्द का इजहार करते हुए अपने सोशल मीडिया साइट पर लिखा कि जो परिवार की नहीं हुई, पार्टी की क्या होगी.

 भाजपा के विजय अभिय़ान से जदयू भी में सशंय

इधर सियासी जानकारों का दावा  है कि जिस तरह भाजपा अपनी संख्या बल को बढ़ाने में लगी हुई है, उसके कारण जदयू के अंदर भी बेचैनी पसरनी शुरु हो गयी है, जदयू के रणनीतिकारों को यह भय सताने लगा है कि आज नहीं तो कल भाजपा के इस विजय अभिय़ान की चपेट में जदयू भी आने वाली है, जैसे ही भाजपा 100 के आसपास पहुंचती है, एक साथ ही पूरी जदयू को निशाने पर लिया जायेगा. और इसके साथ ही बिहार की सियासत से सीएम नीतीश का चैप्टर सदा सदा के लिए क्लोज कर दिया जायेगा. और यही वह चिंता है,  जिसके लेकर सीएम नीतीश के एक और पालाबदल की खबरों को बल  मिल  रहा हैं, दावा किया जा रहा है कि भाजपा की इन गतिविधियों पर सीएम नीतीश की पैनी नजर बनी हुई है, और वह बेहद जल्द एक बार फिर से एक बड़े फैसले की ओर कदम बढ़ा सकते हैं.

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