Ranchi-पूर्व सीएम हेमंत को बजट सत्र के दौरान विधान सभा की कार्रवाई में भाग लेने की अनुमति होगी या नहीं, इस रहस्य से कल पर्दा उठ जायेगा, आज पीएमएलआई कोर्ट में हेमंत सोरेन की ओर से पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि बजट सत्र के दौरान सदन में मनी बिल रखा जाता है, इस हालत में एक विधायक के नाते उनका सदन में मौजूदगी जरुरी है, ताकि वह अपने विधान सभा की समस्यायों को सदन में उठा सकें. यहां ध्यान रहे कि कथित जमीन घोटाले में 31 जनवरी को गिरफ्तारी के बाद पूर्व सीएम हेमंत कोन्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केन्द्रीय कारा में रखा गया है. इस बीच वह पांच फरवरी को कोर्ट के आदेश से विधान सभा के स्पेशन सेशन में भाग ले चुके हैं और इस बार उनके द्वारा बजट सत्र में भाग लेने की अनुमति की मांग की गयी है. आज कोर्ट ने ईडी मामले की सुनवाई के दौरान अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, कल उस फैसले की घोषणा की जायेगी.
कांग्रेसी विधायकों के बीच पसरी है नाराजगी
यहां याद रहे कि चंपाई सरकार के द्वारा मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से ही कांग्रेसी विधायकों के बीच नाराजगी पसरी हुई है. करीबन एक दर्जन विधायक अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है, उनका आरोप है कि उनकी दावेदारी को नकार कर पुराने मंत्रियों को ही एक बार फिर से ताजपोशी की गयी, जबकि ये मंत्री ना तो पार्टी कार्यकर्ताओं की बात सुनते हैं, और ना ही अपनी पार्टी के विधायकों का फोन उठाते हैं. जिसके कारण जनता के बीच उनकी किरकिरी होती है, कांग्रेसी कार्यकर्ता अपनी ही सरकार में अपना दुखड़ा रोने को बाध्य हैं, जबकि दूसरी तरफ झामुमो के कार्यकर्ताओं की शिकायत पर सरकार से लेकर पार्टी त्वरीत कार्रवाई होती है, उनकी हर समस्या का तात्कालिक समाधान निकाला जाता है. जिसके कारण आम लोगो के बीच झामुमो कार्यकर्ताओं का हौसला हाई होता है.
विधान सभा में हेमंत की मौजूदगी का क्या हो सकता है असर
हालांकि अंदर की खबर यह है कि पूर्व सीएम हेमंत की गिरफ्तारी का बाद इन विधायकों को अपने सामने मंत्री पद की कुर्सी खड़ी दिख रही थी, उन्हे इस बात का पक्का विश्वास था कि इस सियासी अस्थिरता के दौर में उनकी पूछ बढ़ेगी और इस बार पुराने मंत्रियों को किनारा कर उनके सिर पर मंत्री का ताज रखा जायेगा, लेकिन जैसे ही मंत्रिमंडल का विस्तार का हुआ, यह सुनहरा सपना टूटता नजर आया और एक साथ सभी नाराज विधायक दिल्ली निकल गयें, साथ ही यह धमकी ठोक गएं कि यदि उनकी मांग की अनसुनी की गयी, पुराने मंत्रियों को हटा कर नई ताजपोशी नहीं की गई, तो इनके द्वारा बजट सत्र का बहिष्कार किया जायेगा और इस धमकी के बाद चंपाई सरकार पर संकट का बादल मंडराते दिखने लगा. हालांकि अब खबर यह है कि कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल ने इस नाराजगी को दूर कर दिया है, विधायकों को इस बात का आश्वासन मिला है कि सरकार के साथ उनकी सारी शिकायतों को दूर किया जायेगा, और इस आश्वासन के बाद सभी विधायक आज राजधानी रांच लौट रहे हैं. लेकिन बावजूद इसके सरकार पर मंडराता यह संकट खत्म होता नहीं दिख रहा, क्योंकि कांग्रेस आलाकमान के सामने भले ही ये नाराज विधायक मन मसोसकर मान जाने का आश्वासन दे रहे हों, लेकिन मंत्री पद को लेकर उनके अंदर जो बेचैनी पैदा हुई है, वह एक बारगी खत्म नहीं होने वाली. आज भी उनके अंदर मंत्री नहीं बनने का मलाल है, सीने में आग लगी हुई है. इस हालत में यदि हेमंत सोरेन खुद ही सदन में मौजूद रहते हैं, तो उनके सामने इन विधायकों के सीने में लगी आग को समझने का बेहतर अवसर होगा, उनकी नाराजगी को दूर करने का वक्त होगा. वह अपने सियासी तरकश से अचूक तीर निकाल कर इन नाराज विधायकों के सामने एक खुशनुमा सियासी भविष्य का ताना-बाना बून सकते हैं.
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