रांची(RANCHI)- सारे मोदी चोर हैं मामले में निचली अदालत का फैसला आने के महज 26 घंटों के अन्दर-अन्दर ही लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने की वाली अधिसूचना को जारी कर दिया.
क्या अधिसूचना जारी करने में जल्दबाजी की गयी?
लेकिन इस अधिसूचना को जिस जल्दबाजी में जारी किया गया, अब उसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि राहुल गांधी को लेकर भाजपा किसी अकुलाहट में है, उसके अन्दर राहुल गांधी को लेकर एक बेचैनी है. वह किसी भी राहुल गांधी के सवालों से बचना चाहती थी, यही कारण कि राहुल गांधी को कोर्ट जाने और अपने खिलाफ आये फैसले को चुनौती देने का भी समय नहीं दिया गया. राहुल गांधी के शुभचिंतकों का दावा है कि कानूनी और संवैधानिक स्थिति अपनी जगह, लेकिन इस मामले संवेदनशील तरीके से भी निपटाया जा सकता है, लेकिन इस फैसले के बाद भाजपा के अन्दर एक अनकही बेचैनी देखी जा रही है.
क्या राहुल गांधी का संसद में होना भाजपा के लिए परेशानी का सबब था
तब क्या यह माना जाय कि राहुल गांधी का संसद में रहना भाजपा के लिए परेशानी का सबब बना हुआ था. क्या जिस प्रकार राहुल गांधी बार-बार अडाणी को मोदी का यार बता कर भाजपा पर हमलावर थें, उससे भाजपा की धड़कनें बढ़ी हुई थी? क्या विदेशी धऱती पर राहुल गांधी की बढ़ती पूछ से भाजपा हैरान-परेशान थी? जिस प्रकार बार-बार उन्हें कई विश्वविद्यालयों से संबोधन के लिए आमंत्रण आ रहे थे, क्या वह भाजपा को हजम नहीं हो रहा था? या सबसे बड़ी परेशानी भारत जोड़े यात्रा की सफलता थी? क्योंकि भारत जोड़े यात्रा के बाद जिस प्रकार भाजपा राहुल गांधी के खिलाफ आक्रमक हुई, उससे यह संदेश बढ़ता है? खुद कांग्रेस और मीडिया के एक बड़े हिस्से का मानना था कि भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी की पूरी तस्वीर को बदल दिया था? यात्रा के बाद युवाओं में उनकी दीवानगी बढ़ती जा रही थी. या इसकी सबसे बड़ी वजह अडाणी मुद्दे पर उनके द्वारा जेपीसी जांच की मांग है.
लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के फैसले को आधार बना कर जारी की गयी अधिसूचना
ध्यान रहे कि अपने फैसले के साथ ही कोर्ट ने राहुल गांधी को तीस दिनों का वक्त दिया है, जिस दौरान वह इस फैसले के खिलाफ उपरी अदालत में चुनौती दे सकते हैं, उपरी अदालत के द्वारा यदि निचली अदालत के फैसले पर स्टे लगा दिया जाता है तो उनकी सदस्यता पर कोई खतरा पैदा नहीं होगा. दावा किया जा रहा था कि राहुल गांधी की ओर से इस फैसले खिलाफ उपरी अदालत में चुनौती देनी की तैयारी की जा रही थी, लेकिन इसके पहले ही लोकसभा कार्यालय ने लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के फैसले को आधार बनाते हुए उनकी सदस्यता को खत्म करने की अधिसूचना को जारी कर दिया.
लिली थॉमस बनाम भारत सरकार
यहां हम बता दें कि 11 जुलाई 2013 को लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के फैसले में कोर्ट ने निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही अयोग्य घोषित का फैसला सुनाया है. इसके पहले तक आखिरी फैसला आने तक सदस्यता नहीं जाती थी.
लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए मनमोहन सरकार ने लाया था अध्यादेश
ध्यान रहे कि लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के फैसले के खिलाफ तब भी राजनीतिक हलकों में बड़ा बवाल हुआ था, अधिकांश राजनीतिक दल इस फैसले के खिलाफ थें. कोर्ट के इस फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए तात्कालीन मनमोहन सिंह की सरकार के द्वारा एक अध्यादेश भी लाया गया था, लेकिन तब अपनी ही पार्टी की बहुमत की राय से अलग जाकर राहुल गांधी ने भरी संसद में उस अध्यादेश की प्रति को फाड़ दिया था, राहुल गांधी की इस हरकत के कारण तब मनमोहन सरकार की काफी किरकिरी भी हुई थी. आखिरकर राहुल गांधी के इस विरोध को देखते हुए मनमोहन सिंह की सरकार ने इस अध्यादेश वापस ले लिया था.
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