Patna-राहुल गांधी,अखिलेश यादव, दीपंकर भट्टाचार्य, सीताराम येचुरी और पिता लालू यादव की मौजूदगी में अब तक के अभूतपूर्व भीड़ को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा है कि यह वही गांधी मैदान है, जहां हमने दो लाख नौकरियां एक साथ बांटकर एक रिकार्ड बनाया था. इसके पहले हमारे चाचा नीतीश कहा करते थें कि इन नौकरियों के लिए पैसा कहां से आयेगा. लेकिन हमने बिहार की जनता से जो वादा किया था, उसे एक ही झटके में पूरा किया, क्योंकि हमारे लिए कुर्सी नहीं गांव गरीब, दलित पिछड़ों और अल्पसंख्यक समाज की सेवा करना ज्यादा जरुरी है, और यही कारण है कि जैसी हमारी हाथ में सत्ता आयी, हमने सरकारी नौकरियों का मुंह आम लोगों के खोल दिया. और हालत यह है कि हमारे उस काम को अपने नाम करने के लिए चाचा नीतीश को पोस्टर लगानी पड़ रही है, बड़े बड़े इस्तहार लगाने पड़ रहे हैं, लेकिन लोग उनके उस बयान को भूले नहीं है, जिसमें उन्होंने हमारा तंज उड़ाते हुए कहा था कि 10 लाख नौकरी बांटेगा तो पैसा क्या अपने बाप से लायेगा, लेकिन हमने पैसा भी लाया और नौकरी भी दिया. आरजेडी का मतलब समझाते हुए तेजस्वी ने कहा कि R For Right, J for job or D for development, यही हमारा संकल्प है, और यही हमारी पहचान है.

पटना की सड़कों पर भारी जनसैलाब

यहां याद रहे कि तेजस्वी की जनविश्वास रैली में आज पटना की सड़कों पर एक जनसैलाब उमड़ता दिख रहा है, जानकारों का दावा है कि यह भीड़ राजधानी पटना के पिछले 17 वर्षों का रिकार्ड को ध्वस्त कर एक नया कीर्तिमान स्थापित करने की ओर बढ़ती नजर  आ रही है. पूरा पटना लाल हरे झंडे से पट्टा है, कोई भी ऐसी सड़क नहीं है, जहां जनसैलाब का समुन्द्र उमड़ता नहीं दिख रहा हो. सारी भीड़ एक साथ गांधी मैदान की ओर बढ़ती नजर आ रही है, इस बीच तेजस्वी यादव भी अपने पिता लालू यादव के साथ रथ पर सवार होकर मंच पर पहुंच चुके हैं. मंच पर मीसा भारती और रोहिणी आचार्या भी मौजूद है. भारी भीड़ को इंडिया गठबंधन का मतलब समझाते हुए तेजप्रताप यादव ने कहा कि ‘इंडिया’ का मतलब रोजगार, रोजी रोटी की व्यवस्था और सरकारी नौकरी की गारंटी.

कांग्रेस राजद के बागी विधायकों के सामने खड़ा हो सकता है सियासी संकट

यहां याद  रहे कि नीतीश की पांचवी पलटी के बाद भले ही हर दिन राजद कांग्रेस के विधायकों में टूट का कारवां जारी हो, कभी कांग्रेस तो कभी राजद विधायकों की अंतरात्मा हिचकोलें मार रही हो, अचानक से इस बात का भान हो रहा हो कि जिस सियासी हैसियत के वे हकदार थें, पार्टी में वह सम्मान नहीं दिया गया, वह कद नहीं मिला और वे अचानक से विपक्ष की कुर्सी के बजाय सत्ता पक्ष की कुर्सी पर नजर आ रहे हों. लेकिन आज जो जनसैलाब पटना की सड़कों पर उतरा है, उसके इतना तो साफ है कि भले ही राजद- कांग्रेस के विधायकों का मन सत्ता पक्ष में बैठने के लिए डोल रहा हो. लेकिन बिहार की जमीन से एक नये बदलाव की हवा भी बहती दिख रही है. इस जनसैलाब को देखकर सियासत का एक नौसिखुआ भी बता सकता है कि लोकसभा चुनाव और उसके बाद के विधान सभा चुनाव में कौन से गुल खिलने वाले हैं. और शायद यही कारण है कि इस रैली को देखते हुए सरकार को भाजपा कार्यालय की सुरक्षा बढ़ानी पड़ी है. भारी सुरक्षा बल को तैनात कर किसी भी अनहोनी पर रोक लगानी की कोशिश की गई है, लेकिन सवाल तो सियासी अनहोनी का है, जिसका आहट इस जनसैलाब से निकलती दिख रही है.

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