TNP DESK- चुनाव में देरी लेकिन हल्दी -मेहंदी की रश्म शुरू, यही कहावत बिहार के चुनाव में चरितार्थ होती दिख रही है. एनडीए और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर सियासी खींचतान शुरू हो गई है. तमाम दल अपनी जातीय और सामाजिक समीकरणों के अनुसार सीट पाने की तैयारी में लगे हुए है. दोनों ही गठबंधन के नेता अति उत्साह में दिख रहे है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बक्सर की सभा में अचानक राजपुर सीट से प्रत्याशी का नाम उछालकर यह संदेश दे दिया है कि भीतर ही भीतर सब की तैयारी चल रही है.
पशुपति कुमार पारस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के साथ समीकरण
इधर, महागठबंधन ने पशुपति कुमार पारस और झारखंड मुक्ति मोर्चा को साथ जोड़कर समीकरण को बदल डालने का संकेत भी दे दिया है. सीटों को लेकर बयानबाजी से माहौल धीरे-धीरे दिलचस्प होता जा रहा है. महागठबंधन में पशुपति पारस और झारखंड मुक्ति मोर्चा का जुड़ना सिर्फ संख्यात्मक मजबूती नहीं बल्कि सामाजिक समीकरणों में भी बड़ा असर डालेगा. पशुपति पारस दिवंगत रामविलास पासवान के छोटे भाई है. उनका महागठबंधन में आना दलित राजनीति के उस वोट बैंक को खींचने की कोशिश है, जिस पर अब तक दूसरे दल दावा करते रहे है. दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा का जुड़ाव सीमांचल और झारखंड सीमा से लगे इलाकों में आदिवासी और अल्पसंख्यक वोटो को साधने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
झामुमो भी बिहार में विस्तार करने के प्रयास में
यह अलग बात है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से स्पष्ट किया गया है कि बिहार में वह बिस्तार तो करेगा, चुनाव भी लड़ेगा, लेकिन गठबंधन दलों की बात को अहमियत दी जाएगी. इधर, बिहार में 2025 में तीसरा विकल्प बताए जाने वाले जनसुराज का दावा है कि वह 243 सीट पर अकेले चुनाव लड़ेगा. मतलब साफ है कि एनडीए और महागठबंधन में जहां कई दल मिलकर बिहार में चुनाव लड़ेंगे, वही जनसुराज अकेले 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगा. महागठबंधन में कांग्रेस, वीआईपी के बाद सीपीआई एमएल ने बड़ी घोषणा की है. पार्टी के राज्य सचिव ने कहा है कि उन्हें 40 सीट चाहिए, सीट की लिस्ट महागठबंधन नेतृत्व को दे दी गई है. इससे महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान के रूप में देखा जा सकता है. महागठबंधन की अधिकारिक घोषणा से पहले ही सीपीआई एमएल ने अपनी बात मीडिया में रख दी है.
सीपीआई एमएल ने भी कर दिया 40 सीटों पर दावा
मोतिहारी में प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य सचिव कामरेड कुणाल ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य की 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. इसकी सूची उनकी ओर से कोऑर्डिनेशन कमिटी को सौंप दी गई है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जहां भी उनकी पार्टी को टिकट दिया गया, वहां बेहतर माहौल बना और महागठबंधन को मजबूती मिली. कार्यकर्ताओं की मेहनत से पार्टी के साथ-साथ गठबंधन को भी फायदा हुआ. वैसे दिल्ली से लेकर पटना तक गठबंधन की कई दौर की बैठक हो चुकी है, पर अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर कोई बात अ धिकारिक तौर पर सामने नहीं आई है.
घटक दल लगातार अपने -अपने ढंग से करने लगे है दावा
उसके पहले ही घटक दल सीट को लेकर दावा करने लगे है. यह अलग बात है कि सीटों पर दावा करने वाली यह पहली पार्टी नहीं है, इसके पहले कांग्रेस की ओर से 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही गई है. वीआईपी के मुकेश सहनी 60 सीटों के साथ-साथ डिप्टी सीएम पर भी दावा ठोक रहे है. तेजस्वी यादव को सीएम बताते हुए मुकेश सहनी खुद को डिप्टी सीएम बताने से नहीं थकते. लेकिन कांग्रेस ने इस मुद्दे पर अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है. तेजस्वी यादव को सीएम पद का चेहरा बताने से कांग्रेस अभी परहेज कर रही है.
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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