Bihar Politics: बिहार के पॉलीटिशियनो की "आंत में दांत" होती है, यह बात कभी लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार के लिए कही थी. लेकिन अब तो हर पॉलिटिशियन की "आंत में दांत " वाली बात सामने आ रही है. केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने ताल ठोक कर कह दिया है कि वह बिहार में विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. चुनाव भी सभी 243 सीटों पर लड़ेंगे. सारण की एक सभा में उन्होंने यह घोषणा की. उसके बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे है. राजनीतिक पंडित इसे अपने-अपने ढंग से सोच रहे हैं, जोड़ -घटाव कर रहे है.
चिराग पासवान के ताल ठोंकने के पीछे क्या हो सकती है राजनीति
चिराग पासवान ने कहा है कि आज सारण की धरती से घोषणा करता हूं- कि मैं चुनाव लड़ूंगा, यह चुनाव हर एक बिहारी के लिए महत्वपूर्ण है. चुनाव भी 243 सीटों पर लड़ेंगे, हर सीट पर उम्मीदवार चिराग बनकर चुनाव में जाएंगे. जैसे-जैसे चिराग पासवान की घोषणाएं हो रही है, जदयू के लिए मुश्किलें बढ़ रही है. सवाल किये जा रहे हैं कि -क्या जनता दल (यू) को ही बैकफुट पर लाने के लिए यह सब राजनीति तो नहीं शुरू हुई है? क्या बिहार में जदयू को 2025 के विधानसभा चुनाव में 43 से भी कम सीट पर समेटने की कोई अंदरखाने योजना है ? 2020 के चुनाव में आरोप लगे थे कि चिराग पासवान के जरिए नीतीश कुमार की पार्टी को नुकसान पहुंचाया गया.
2020 के चुनाव में चिराग पासवान अकेले लड़े थे ,मिला था एक सीट
दरअसल, 2020 के चुनाव में चिराग पासवान ने अकेले चुनाव लड़ा था. केंद्र में वह एनडीए के हिस्सा थे, लेकिन बिहार में नहीं थे. चिराग पासवान ने 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. चिराग पासवान ने 2020 में बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे ,लेकिन जदयू के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे. इससे जदयू को काफी नुकसान हुआ था और उसे केवल 43 सीट ही मिली थी. इस बार भी चिराग पासवान भले ही जदयू और बीजेपी के साथ गठबंधन में है, लेकिन उनके निशाने पर नीतीश कुमार की पार्टी ही है.
क्या चिराग पासवान गठबंधन में अधिक सीट का बना रहे दबाव
सवाल यह भी किये जा रहे हैं कि क्या चिराग पासवान गठबंधन में अधिक सीट पाने के लिए दबाव बना रहे हैं? एनडीए में भाजपा, जदयू, चिराग पासवान की पार्टी, जीतन राम मांझी की पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी शामिल है. चिराग पासवान कोशिश कर रहे हैं कि वह अधिक से अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार सके. ऐसा भी कुछ लोगो का मानना है. वह लगातार बिहार में रैली कर रहे हैं और नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ा रहे है. यह बात भी अब साफ हो गई है कि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस महागठबंधन में जाएंगे, ऐसे में चिराग पासवान क्या एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ पाएंगे, यह अपने आप में बड़ा सवाल है. लेकिन जदयू का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है. देखना है कि बिहार में चुनाव आते-आते सहयोगी दलों में क्या-क्या देखने को मिलते हैं?
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो
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