छपरा(CHAPRA):मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की प्रत्याशी रहीं सीमा सिंह का नामांकन रद्द होने के बाद राजनीतिक गलियारों में कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं लेकिन सोमवार को छपरा सदर अस्पताल में गैस सिलेंडर हादसे में घायल मढ़ौरा क्षेत्र के मरीजों से मिलने पहुंचीं सीमा सिंह ने पहली बार सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी.अस्पताल में पीड़ितों का हालचाल लेने के बाद जब पत्रकारों ने उनसे नामांकन रद्द होने को लेकर सवाल किया, तो उन्होंने संयमित और स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा, मैं इस विषय पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करना चाहती. मुझे भारत के चुनाव आयोग और अपने शीर्ष नेतृत्व पर पूरा भरोसा है. जो भी निर्णय होगा, वह न्यायपूर्ण और संविधान सम्मत होगा.

चिराग पासवान मेरे नेता, मैं कहीं नहीं जा रही

सीमा सिंह ने यह भी खुलासा किया कि नामांकन रद्द होने के बाद कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने उनसे संपर्क किया, लेकिन उन्होंने किसी भी पेशकश को स्वीकार नहीं किया.उन्होंने दो टूक कहा, “मेरे नेता चिराग पासवान हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के हनुमान है. जब मेरे पास ऐसा नेतृत्व है, तो मुझे किसी और जगह जाने की जरूरत ही नहीं है. मैं लोजपा (रामविलास) में थी, हूं और रहूंगी.

जनता से वादा चुनाव न सही, सेवा का काम जारी रहेगा

सीमा सिंह ने मढ़ौरा क्षेत्र की जनता को यह संदेश भी दिया कि चुनावी राजनीति भले पीछे रह जाए, लेकिन जनता के साथ उनका जुड़ाव पहले की तरह कायम रहेगा.चुनाव हो या न हो, मैं हर सुख-दुख में अपने क्षेत्र की जनता के साथ हूं.सेवा का रास्ता कभी नहीं रुकता,” उन्होंने कहा.

घायलों से मुलाकात, मदद का भरोसा

छपरा सदर अस्पताल में सीमा सिंह ने गैस सिलेंडर ब्लास्ट में घायल मरीजों और उनके परिजनों से मुलाकात की और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया.उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं से पीड़ित परिवारों को सिर्फ सरकार ही नहीं, बल्कि समाज को भी आगे बढ़कर मदद करनी चाहिए.

राजनीतिक संकेत, लेकिन संयमित भाषा

हालांकि सीमा सिंह ने नामांकन रद्द होने के पीछे किसी साजिश या आरोप की बात नहीं की, लेकिन राजनीतिक हलकों में इसे लेकर चर्चा तेज है.उनकी संयमित भाषा और पार्टी नेतृत्व में जताया गया विश्वास संकेत देता है कि लोजपा (रामविलास) इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से बहुत सोच-समझ कर हैंडल कर रही है.

विश्लेषण

सीमा सिंह की यह सार्वजनिक उपस्थिति न सिर्फ उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता का संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पार्टी उन्हें अब भी एक मजबूत चेहरे के रूप में पेश कर रही है, भले ही फिलहाल चुनावी मैदान में न हों.