नालंदा(NALANDA): कोराना के बाद स्वास्थ्य-चिकित्सा चुस्त-दुरुस्त करने के तमाम दावे की यह तस्वीर पोल खोलती है. सरकारी एंबुलेंस ना मिलने के सबब बेटे को जख्मी पिता को ठेले पर 2 किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाना पड़ा. जब सरकारी एंबुलेंस मुहैया हुई. तो गज भर की दूरी पर अस्पताल था और तब तक पिता ने दम तोड़ दिया था.
मामला नालंदा जिले सोहसराय थाना क्षेत्र इलाके के कटहल टोला का है. नवनिर्मित मकान पर वाटर टैंक चढ़ाने के क्रम में मकान का छज्जा गिर गया. जिससे ठेला चालक समेत दो मजदूर जख्मी हो गए थे.
प्रशासन से भी नहीं मिली मदद
अब इस घटना में नया मोड़ उस वक्त आया जब दोनों जख्मी फकीरचंद और अन्य मजदूर को अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन वहां से चिकित्सकों ने एक जख्मी को गंभीर हालत में रेफर कर दिया. हालांकि जख्मी परिजनों व वार्ड पार्षद ने इसकी सूचना स्थानीय सोहसराय थाना को भी दी. ताकि जख्मी की मदद की जा सके. लेकिन स्थानीय थाना पुलिस से त्वरित मदद नहीं मिलने के कारण जख्मी फकीरचंद के बेटे ने अपने पिता को ठेले पर ही रखकर करीब 2 किलोमीटर चलाकर सदर अस्पताल पहुँचाया. हालांकि सदर अस्पताल ने जख्मी को कुछ दूरी पर रहते हुए सरकारी एंबुलेंस मुहैया कराया. लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.
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लोगों में जागरूकता की कमी: सिविल सर्जन
अगर समय रहते फकीरचंद को एंबुलेंस की सेवा या फिर यूं कहें सरकारी सेवा मिल जाती तो शायद उसकी जान भी बच सकती थी. एक ओर राज्य सरकार गरीबों की मदद के लिए कई तरह की योजनाएं चलाती है लेकिन योजनाएं धरातल पर आ ही नहीं पाती है. वहीं इस मामले को लेकर सिविल सर्जन अविनाश कुमार सिंह ने कहा कि अगर किसी प्रकार की भी इलाके में घटना घटती है तो किसी भी घायल व्यक्ति को लाने के लिए 102 पर डायल करना चाहिए. तब जाकर उस पर आपको फ्री एंबुलेंस की सेवा दी जाती है. सिविल सर्जन ने कहा कि लोगों में अभी भी जागरूकता की कमी देखी जा रही है. सिविल सर्जन ने भी माना कि जब इस घटना की सूचना सोहसराय थाना को दी गई थी तो यह उनकी जवाबदेही थी कि उनके द्वारा 102 डायल करके जख्मी फकीरचंद को एंबुलेंस मुहैया करवाना चाहिए था.
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