टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : शारदीय नवरात्रि के नौ पावन दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है. प्रत्येक दिन माता के अलग रूप की पूजा का विधान है. नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित होता है. यह रूप साधना, तपस्या और आत्मबल का प्रतीक है. पुराणों के अनुसार पार्वतीजी ने शिवजी को पति रूप में पाने के लिए घोर तप किया था. उसी तपस्या की स्मृति में ब्रह्मचारिणी की उपासना होती है. इस दिन साधक के भीतर धैर्य, ऊर्जा और मानसिक शक्ति का संचार होता है. 

ऐसे करें पूजन : 
स्नान और स्वच्छ वस्त्र: सूर्योदय के बाद स्नान कर साफ वस्त्र पहनें. 
स्थल की तैयारी: पूजा स्थल पर लाल/पीले कपड़े से आसन सजाएं। माता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. 
संकल्प और मंत्र जप: दीपक जलाएं, गंगाजल छिड़कें और मंत्र “ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः” का जप करें.

पूजा सामग्री अर्पित करें: 
चंदन, कुमकुम, पुष्प, मिश्री, गुड़, शहद या पंचामृत अर्पित करें. 
आरती: धूपबत्ती और कपूर से आरती करें. 

मुख्य मंत्र:
“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः”
या
“दधाना कर पद्माभ्याम् अक्षमालाकमण्डलु। देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥”

विशेष उपाय
गंगाजल में मिश्री डालकर माता ब्रह्मचारिणी को अर्पित करें. 
पूजा के बाद किसी कन्या को मिश्री, खीर या दूध का प्रसाद दें. 
यह उपाय धैर्य, बुद्धि और मानसिक शक्ति बढ़ाने में मदद करता है.