टीएनपी डेस्क:  तो क्या झारखंड मुक्ति मोर्चा अपनी साख  बचाने के लिए ही अंतिम समय में अकेले बिहार में चुनाव लड़ने से परहेज किया? क्या अब झामुमो को अगले साल राज्य सभा की दो सीटों उम्मीदवार उतारने  की सहमति मिलेगी? यह सब सवाल झारखंड  की राजनीति में तेजी से उमड़ -घुमड़ रहे है.  2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक सीट लाकर झामुमो पहली बार झारखंड में बड़ी पार्टी बनी है.  ऐसे में अगर अकेले वह बिहार के चुनाव में जाता  तो उसकी साख पर बट्टा लग सकता था. 

बहुत गुणा  -भाग कर झामुमो ने लिया होगा यह बड़ा फैसला 
 
राजनीतिक पंडित बताते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस मुद्दे पर बहुत गुणा- भाग किया होगा और फिर निर्णय लिया होगा कि चुनाव नहीं लड़ना ही बेहतर होगा.  एक तो इससे नाराजगी भी दिखेगी और प्रतिष्ठा भी बच जाएगी.  बता दे कि झारखंड मुक्ति मोर्चा  कम से कम 6 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा किया था.  नामांकन के अंतिम दिन तक ऐसा लग रहा था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा चुनाव लड़ेगा, लेकिन अंतिम समय में झारखंड मुक्ति मोर्चा चुनाव में उतरने के मन को बदल लिया. 

झामुमो पर विपक्षी दलों के हमले हुए तेज 
 
इसके बाद तो झारखंड में विरोधी दलों के हमले तेज हो गए है.  प्रदेश भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष आदित्य साहू ने कहा है कि जिस दल के प्रमुख ने कहा था कि- झारखंड मेरी लाश पर बनेगा, उस व्यक्ति से अपेक्षा करना कि वह झामुमो  को विधानसभा में सीट देगा, समझ से परे है.  उन्होंने यह भी कहा है कि सत्ता के सुख के चलते झामुमो , राजद और कांग्रेस झारखंड में गठबंधन की सरकार चला रहे है.   इधर, प्रदेश कांग्रेस के महासचिव राकेश सिन्हा ने कहा है कि मंत्री सुदिब्य कुमार का कांग्रेस पर आरोप लगाना निराधार है.  पार्टी के नेता राहुल गांधी गठबंधन को लेकर सदैव सजग, समर्पित और त्याग की भावना रखते है.  बिहार विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने गठबंधन धर्म का पालन किया है.  इधर, राजद के प्रदेश प्रवक्ता कैलाश यादव ने कहा है कि मंत्री द्वारा राजद  नेताओं को "धूर्त" कहना आपत्तिजनक है.  यह टिप्पणी सही नहीं है.  

क्यों है राजद और कांग्रेस कोटे के मंत्रियो पर खतरा ?

 यह  विवाद आगे क्या रंग  लेगा, यह कहना मुश्किल है.  लेकिन इस बात की संभावना है कि हो सकता है कि झामुमो  राजद  कोट के मंत्री को हटा दे.  यह भी हो सकता है कि झामुमो गठबंधन से नाता तोड़कर नए राजनीतिक गठबंधन की और आगे बढ़े , राजद  और कांग्रेस कोशिश कर सकते हैं कि विवाद  को खत्म करा लिया जाए.   यह भी हो सकता है कि अगले साल झारखंड में राज्यसभा की दो सीटों पर होने वाले चुनाव में झामुमो  अपना प्रत्याशी उतारे और बिहार के चुनाव में सीट नहीं मिलने की इससे भरपाई हो सके.  दरअसल ,झारखंड मुक्ति मोर्चा बिहार के चकाई, धमदाहा, कटोरिया, मनिहारी, जमुई और पीरपैंती   से चुनाव लड़ने की बात कह रहा था.  सोमवार को जो लिस्ट जारी हुई, उसमें चकाई ,धमदाहा ,कटोरिया, जमुई, पीरपैंती   राजद के  खाते में गया है ,जबकि मनिहारी सीट कांग्रेस के खाते में आई है. मतलब साफ़ है कि गठबंधन टूट गया है. 

2024 के   विधानसभा चुनाव में झारखंड में दलीय स्थिति

 2024 के   विधानसभा चुनाव में झारखंड में दलीय स्थिति कुछ इस प्रकार है. झामुमो को 34, कांग्रेस को 16, राजद को चार, माले  को दो सीट मिली थी. जबकि भाजपा को 21, आजसू को एक, जदयू को एक, लोजपा को एक सीट मिली थी. जेएलकेएम को भी एक सीट पर सफलता मिली थी. इस दलीय आधार पर अगर कांग्रेस और राजद से झामुमो का गठबंधन टूटा, तो क्या होगा? इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है. बता दे कि  2019 के विधानसभा चुनाव में राजद को झारखंड में 7 सीट  दी गई थी. जिनमे एकमात्र विजय उम्मीदवार सत्यानंद भोक्ता को 5 साल तक कैबिनेट मंत्री बनाए रखा गया था. 2024 के चुनाव में राजद को झारखंड में छह सीट दी थी. 2024 के चुनाव में राजद को 6 सीट  दी गई, जिनमें चार उम्मीदवार जीते. फिलहाल एक महत्वपूर्ण विभाग के साथ कैबिनेट के मंत्री राजद कोटे से है. कांग्रेस के चार मंत्री है. 

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो