गिरिडीह (GIRIDIH) - जमुई के चकाई थाना इलाके के गोविंदपुर गांव से चकाई पुलिस और सीआरपीएफ को 20 साल से फरार नक्सली मनोज मरांडी को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है. नक्सली मनोज मरांडी को सीआरपीएफ और चकाई पुलिस ने संयुक्त आपरेशन चला कर शुक्रवार की सुबह ही दबोचा. इसकी पुष्टि जमुई एएसपी सुधांश कुमार ने भी किया है. सीआरपीएफ और चकाई पुलिस का ज्वाइंट ऑपरेशन चकाई के जिस गोविंदपुर इलाके में कर उसके घर से दबोचा गया. बता दें कि वो गिरिडीह के बेंगाबाद के लुप्पी समेत कई गावों का सीमावर्ती इलाका माना जाता है.

गुप्त सूचना पर पुलिस ने की कार्रवाई

जानकारी के अनुशार जमुई एएसपी सुधांश को गुप्त सूचना मिली कि फरार नक्सली मनोज मरांडी अपने गोविंदपुर स्थित घर आया हुआ है. इसके बाद सीआरपीएफ और चकाई पुलिस ने उसके घर की घेराबंदी कर उसे दबोचा. एएसपी खुद ही इसके गिरफ्तारी अभियान का लीडिंग कर रहे थे. हालाकि नक्सली मनोज मरांडी के पास से कोई हथियार तो बरामद नहीं हुआ है.

कैदी वाहन कांड

वहीं सूत्रों की माने तो नक्सली मनोज मरांडी साल 2013 में गिरिडीह में हुए कैदी वाहन ब्रेक कांड में शामिल था. पूर्व में मुठभेड़ में मारे गए इनामी नक्सली चिराग दा के साथ इसी नक्सली मनोज मरांडी ने कैदी वाहन में हमला कर खूंखार माओवादी परवेश दा समेत कई माओवादी को कैदी वाहन से मुक्त कराया था. नक्सली मनोज के खिलाफ कैदी वाहन का एक केस जहां गिरिडीह के मुफ्फसिल थाना में दर्ज है. तो वहीं जमुई के अलग अलग थाना में आठ नक्सली केस दर्ज है. जिसमें तीन चकाई थाना में तो खेरा में दो समेत कई और थानों में केस दर्ज है.

कपड़ा फैक्ट्री में काम करते हुए कर रहा था संगठन विस्तार का काम

जानकारी के अनुशार तीन साल से ये गुजरात के सूरत में रह कर एक कपड़ा फैक्ट्री में काम कर रहा था. इसके बाद भी इसे जमुई में संगठन में मिलिट्री विंग का जिम्मा मिला हुआ था और संगठन विस्तार का काम भी कर रहा था. लिहाजा, मनोज मरांडी की गिरफ्तारी जमुई पुलिस एक बड़ी उपलब्धि मान रही है. क्योंकि सक्रिय रहते हुए ये पिंटू राणा, चिराग दा समेत झारखंड बिहार के कई हार्डकोर के साथ रहकर काम कर चुका था.

रिपोर्ट : दिनेश कुमार, गिरिडीह