रांची(RANCHI): राजधानी रांची में अपराध का ग्राफ इन दिनों बढ़ा हुआ है. अक्सर अपराध कर अपराधी रांची से बाहर भाग जाते हैं, वहीं दूसरे शहर से भी अपराधियों का आना-जाना रांची में लगा रहता है. ऐसे अपराधियों के लिए राह अब और आसान हो गई है. जानिये कैसे.

रांची से बाहर जाने और आने वाली जगहों पर न तो बैरिकेटिंग है और न ही कैमरे हैं. यही कारण है कि अपराधी आराम से अपराध की घटना को अंजाम देकर शहर से बाहर निकल जाते हैं. Naamkum एरिया के अंतिम छोर रामपुर गाँव के बाद से NH33 शुरू हो जाता है. जो जमशेदपुर के रास्ते बंगाल ओडिसा निकल सकता है. इसके अलावा कटहल मोड के पास से NH33 है जो सड़क महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ निकल जाता है. इन जगहों पर रोक-टोक की कोई व्यवस्था ही नहीं है.

शहर के इंट्री पॉइंट पर लगे ज्यादातर कैमरे खराब    

जब आप जमशेदपुर की ओर से रांची आएंगे तो रामपुर गाँव के पास आपको कैमरे दिखेंगे. लेकिन वह सिर्फ शो पीस है. कैमरा देख कर ही अंदाजा लगा लेंगे कि वह किस हाल में है. जबकि नामकुम इलाका संवेदनशील है. इस एरिया में PLFI संगठन के नाम पर कई घटना को अंजाम दे चुके हैं. लेवी की मांग इस एरिया में आम बात है. लेकिन इनसब मामले को सुलझाने में पुलिस को काफी वक्त लग जाता है. पुलिस लोगों के दुकानों के सीसीटीवी  कैमरे को खंगालती है. लेकिन कभी भी पुलिस पदाधिकारियों के खयाल में यह नहीं आता है कि जो कैमरे करोड़ों रुपये खर्च कर शहर की सुरक्षा में लगाए गए हैं उसे भी सही करा लें. जिससे अपराधियों को पकड़ने में आसानी होगी.   

रांची में 155 स्थानों में लगाया गया है कैमरा

शहर की सुरक्षा को देखते हुए 2017-18 में रांची के 155 संवेदनशील स्थानों पर कैमरा लगाया गया है. शहर की ओर सड़क टाटा- रांची ,रामगढ़-रांची ,पलामू-रांची के प्रवेश द्वार पर कैमरे लगाए गए हैं. इसके अलावा खूंटी-रांची, टाटीसिलवे मार्ग , इटकी रोड, पतरातू रोड में कैमरे लगाए गए हैं. रांची की सुरक्षा को देखते हुए इसमें 50 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. जिससे राजधानी सुरक्षित रहे. लेकिन कैमरे लगने के बाद उसकी किसी ने सुध नही ली. यही कारण है कि कई कैमरे खराब हैं.