टीएनपी डेस्क (TNP DESK): देश में लड़कियों के खिलाफ लगातार अपराध बढ़ते जा रहे हैं. दुमका का ताजा मामला इसी का उदाहरण है, जिसमें एक मासूम सी लड़की को उसके आशिक ने जला डाला. जिससे उसकी मौत हो गई. मासूम का हत्यारा शाहरुख लगातार उसका पीछा करता था. मासूम अंकिता ने इसकी शिकायत अपने पिता से की थी. उन्होंने पुलिस कांस्टेबल से इसकी शिकायत भी की थी. मगर, कोई सुनवाई नहीं हुई. जब तक वो शाहरुख के खिलाफ औपचारिक शिकायत दर्ज कराते, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. शाहरुख ने अपनी हैवानियत दिखा डाली थी.
मगर, आपको बता दें कि अंकिता इकलौती लड़की नहीं है, जिसके साथ ये सब कुछ हुआ. देश भर की लड़कियों को आए दिन ऐसे मनचलों का सामना करना पड़ता है. मगर, इसकी तुलना में कम ही लोग पुलिस में शिकायत करा पाती हैं. लेकिन जितनी भी शिकायत की जाती है उसके आंकड़े भी चौकाने वाले हैं.
लगातार इन मामलों में हो रही वृद्धि
हाल ही में जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में लड़कियों को स्टॉक करने के मामलों में वृद्धि होती गई है. स्टॉक या stalking का मतलब लड़कियों की मर्जी के बिना उनका पीछा करने से है. इसकी गिनती अपराध में होती है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में भारत में स्टॉकिंग (Stalking) के 9,285 मामले दर्ज किए गए. 2019 और 2020 की तुलना में इस आंकड़े में इजाफा हुआ है. 2020 में 8,512 और 2019 में 8,810 मामले दर्ज किये गए थे.
Stalking के मामलों में 2,131 मामलों के साथ, महाराष्ट्र 2021 में सबसे बड़ी संख्या वाला राज्य था. तेलंगाना 1,265 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर रहा. वहीं 1,185 मामलों के साथ आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा. शहरों में, मुंबई में stalking से पीड़ितों की संख्या सबसे अधिक दर्ज की गई. मुंबई में ये आंकड़ा 444 दर्ज किया गया. इसके बाद दिल्ली में 268 और हैदराबाद में 160 पीड़िता ने मामला दर्ज कराया. हालांकि, शहरी शहरों में stalking का मामला कुल मामलों का 2.4 प्रतिशत हिस्सा है. 600 शहरों के डेटा से पता चला कि उनके पास stalking के सिर्फ 1,469 मामले दर्ज किये गए हैं.
कई मामले तो दर्ज ही नहीं होते
इन डेटा का दूसरा पहलू दुमका की अंकिता से जुड़ा हुआ है. क्योंकि ये डेटा दिखा रहे हैं कि देश के हर क्षेत्र में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. मगर, दूसरा पहलू ये है कि अंकिता के जैसे ही कई लड़कियों के मामले पुलिस के पास जाते ही नहीं है. समाज का डर कह लें या पुलिसवालों की नजरंदाजी. मगर, इन मामलों की अनदेखी करना भी इन मामलों के तेजी से बढ़ने का बड़ा कारण है.
Recent Comments