रांची(RANCHI): जल, जंगल, जमीन झारखंड की पहचान और धरोहर हैं. आदिवासियों की बड़ी आबादी के लिए यही पहाड़ और जंगल जीने का ज़रिया हैं. यहां जल, जंगल, ज़मीन की लड़ाई भी दशकों से जारी है. इन सबके बीच पलामू के बूढ़ा पहाड़ का जिक्र जब होता है, तो एक अलग तस्वीर उभरती है. बूढ़ा पहाड़ पर दशकों से नक्सलियों का कब्जा है. कई बड़ी वारदात को नक्सलियों ने इसी पहाड़ से योजना बना कर अंजाम दिया है. बात 2018 की है जब सर्च अभियान में गए सुरक्षा बलों को नक्सलियों ने लैंड माइंस विस्फोट कर उड़ा दिया था. इस घटना में छह जवान शहीद हो गए थे. इस घटना के बाद कई दिनों तक रुक-रुक कर पुलिस के साथ नक्सलियों के साथ मुठभेड़ होती रही. इस बीच सुरक्षाबालों ने टॉप नक्सली को मार गिराया था.
बूढ़ा पहाड़ पर नक्सली खुद को सबसे मजबूत मानते थे. कारण था, झारखंड और छत्तीसगढ़ दोनों एरिया में बूढ़ा पहाड़ फैला हुआ. इस पहाड़ की लंबाई लगभग 70 किलोमीटर है. बूढ़ा पहाड़ नाम से ही लोग उसके नजदीक जाना नहीं चाहते थे. बूढ़ा पहाड़ का रास्ता जंगल से हो आकर गुजरता है. आप रात तो छोड़िए दिन में भी उस रास्ते में नहीं जाएंगे. यही कारण है कि आज तक उस इलाके में विकास की एक किरण तक नहीं पहुँच सकी.
बूढ़ा पहाड़ पर ही माओवादियों के टॉप नेता कॉमण्डर ,पोलित ब्योरों सदस्य पनाह लिया करते थे. इसी बूढ़ा पहाड़ से महाराष्ट्र, ओडिसा बंगाल, बिहार के नक्सलियों को दिशा-निर्देश दिया जाता था. बूढ़ा पहाड़ पर मौजूद नक्सली ट्रैनिंग कैम्प से नक्सलियों को फौजी कार्रवाई की पूरी तैयारी कराई जाती थी. जब तक नक्सली किसी घटना को अंजाम देने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं होते थे तब तक उसे वहाँ ट्रैनिंग कराई जाती थी. इतना ही नहीं घटना को कैसे अंजाम देना है उसके लिए मौक ड्रिल भी किया करते थे. लेकिन 2018 की घटना के बाद सुरक्षा बालों ने प्रण लिया कि अब नक्सलियों के खात्मा कर के ही चैन लेंगे.
नक्सलियों के खात्मे को लेकर crpf झारखंड जागुआर,जिला पुलिस के द्वारा ऑपरेशन आक्टोपस चलाया गया . लंबे ऑपरेशन के बाद वर्ष 2022 का अंत जैसे ही नजदीक आया वैसे ही बुढ़ा पहाड़ पर नक्सलियों का भी अंत हो गया है. सुरक्षा बालों के लंबे अभियान के बाद बूढ़ा पहाड़ पर अब तिरंगा लहराया दिया गया. सुरक्षा बालों को कामयाबी मिलने के बाद खुद DGP नीरज सिन्हा बूढ़ा पहाड़ पहुंचे और सुरक्षाबलों का हौसला बढ़ाया. साथ की पहाड़ के पास बसे गाँव के लोगों को आश्वासन दिया कि अब इस पहाड़ पर स्कूल, अस्पताल और सड़क बनेगी. जिससे आम लोगों की तरह यहाँ के लोग भी अपना जीवन गुजर बसर कर सकें. वहीं स्थाई पुलिस कैंप भी स्थापित किया जाएगा.
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