टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : आये दिन कुछ न कुछ ऐसे मामले सामने आ ही जाते हैं, जब हम सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि आखिर हमारा समाज किस ओर जा रहा है? मन में कई तरह के सवाल भी उठते हैं कि आखिर किसकी गलती हो सकती है. दरअसल दिल झकझोरने वाली वारदात झारखंड के गुमला जिले से सामने आयी है. जहां 13 साल के नाबालिग ने साढ़े 3 साल की मासूम के साथ गलत काम किया है.  

आरोपी के खिलाफ दर्ज हुआ मामला

मामला सामने आते की बच्ची के परिजनों में डुमरी थाना में आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कराया है. मामला दर्ज होते ही गुमला पुलिस हरकत में आयी और कार्रवाई करते हुए नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार कर बाल सुधार गृह भेज दिया है. थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार, घटना 19 जुलाई की है. पीड़िता की मां अपनी बेटी और पड़ोसी किशोरी के साथ जंगल में आम तोड़ने गई थी. आम तोड़कर लौटते समय पीड़िता की मां ने खुखरी देखी, तो वह अपनी बेटी को किशोरी के पास छोड़कर खुखरी चुनने चली गई. इस दौरान आरोपी किशोर ने बच्ची को अकेला पाकर उसके साथ दुष्कर्म किया. जब महिला खुखरी तोड़कर वापस लौटी, तो उसने नाबालिग आरोपी को अपनी बेटी के साथ दुष्कर्म करते पकड़ लिया. आरोपी वहां से भाग गया. इस संबंध में घटना के दूसरे दिन गांव में पंचायत भी बुलाई गई.

आरोपी को भेजा गया बाल सुधार गृह 

पंचायत में मामले को लेकर हुए समझौते में 25,000 रुपये का जुर्माना मांगा गया था. आरोपी पक्ष यह रकम देने में असमर्थ था, जिसके बाद आरोपी पक्ष ने पीड़िता के घर जाकर उसके साथ मारपीट और गाली-गलौज कर जान से मारने की धमकी दी. इसके बाद पीड़ित परिवार ने थाने में तहरीर देकर एफआईआर दर्ज कराई. इधर, मामले को लेकर डुमरी थानेदार अनुज कुमार ने बताया कि पीड़िता का सदर अस्पताल में मेडिकल टेस्ट कराया गया है. उन्होंने गांव में पंचायत और मारपीट की धमकी से इनकार किया है. थानेदार के अनुसार, मामला संज्ञान में आते ही कार्रवाई की गई और आरोपी को बाल सुधार गृह भेज दिया गया.

गौरतलब है कि महज दो से तीन दिनों में ही झारखंड में ऐसे मामले सामने आए है, जहां ढाई से साढ़े तीन साल की बच्चियों के साथ हैवानियत की गई है. तीन दिन पहले ही गढ़वा जिले से घटना सामने आयी थी जहां ढाई साल की मासूस के साथ चाचा ने दरिदंगी की. बीते 23 जुलाई को गिरिडीह के डुमरी से भी मामला सामने आया था जहां साढ़े तीन साल की बच्ची के साथ गलत काम किया गया था. ऐसे मामले सोचने को मजबूर कर देते हैं कि आखिर हमासा समाज कहां जा रहा है.