टीएनपी डेस्क(TNP DESK): हिंदी फिल्म जगत का इतिहास बहुत पुराना है.अभिनय के क्षेत्र में कई ऐसे नाम रहे हैं जिनके काम को कोई भुला नहीं सकता है. इनमें से एक नाम बलराज साहनी का भी है. जिनका अभिनय सिल्वर स्क्रीन से लेकर रंगमंच पर दिखता ही नहीं था बोलता था. एक गंभीर कलाकार की खासियत यह होती है कि वह हर तरह की भूमिका निभा सके. यह खूबी बलराज साहनी में थी.

बलराज साहनी जैसा कोई दूसरा कलाकार नहीं हो सकता

बलराज साहनी जैसे कलाकार सदियों में एक होते हैं. उनकी अभिनय कला की तारीफ निर्माता-निर्देशक तक करते थे. ग्रेट शोमैन राज कपूर ने उनके काम की तारीफ करते हुए एक बार कहा था कि बलराज साहनी जैसा कोई दूसरा कलाकार नहीं हो सकता.

इन फिल्मों में किया था काम

बलराज साहनी का जन्म आज के पाकिस्तान स्थित रावलपिंडी में एक मई 1913 को हुआ था. उनके बचपन का नाम भी युधिष्ठिर साहनी था .प्रख्यात साहित्यकार, लेकर भीष्म साहनी के वे बड़े भाई थे. उन्होंने कई फिल्मों में काम किया. उनमें से 'दो बीघा जमीन, धरती के लाल, काबुलीवाला जैसी फिल्मी शुमार हैं. 'वक्त' फिल्म का वह गाना हर किसी को याद है जिसमें बलराज साहनी ने अपनी बेगम के लिए 'ऐ मेरी जोहरा जबी,तुझे मालूम नहीं ,
तू अभी है तक है हंसी और मैं जवान' गाना गाया था. रुपहले पर्दे पर आज भी ये गाना लोगों के जेहन में बलराज साहनी के स्मरण में सामने आ जाता है. बलराज साहनी के पुत्र परीक्षित साहनी भी हिंदी फिल्मों में काम करते रहे हैं. बलराज साहनी का निधन 13 अप्रैल 1973 को मुंबई में हो गया.जयंती के मौके पर उनके प्रशंसक और बॉलीवुड के लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं.