धनबाद(DHANBAD):  झारखंड में 108 एंबुलेंस सेवा एक बार फिर सुर्खियों में है.  एंबुलेंस चालक डिमांड कर रहे हैं कि उन्हें स्थाई तौर पर बहाल  किया जाए.  क्योंकि जब-जब झारखंड में मंत्री बदलते हैं, सेवा देने वाली कंपनी भी बदल जाती है.  उदाहरण देते हैं कि रामचंद्र चंद्रवंशी जब स्वास्थ्य मंत्री थे, तो दूसरी कंपनी 108 एंबुलेंस सेवा का संचालन करती थी.  जब बन्ना  गुप्ता बने तो दूसरी कंपनी ने काम शुरू कर दिया और अब जब डॉक्टर इरफान अंसारी स्वास्थ्य मंत्री हैं, तो नई कंपनी काम कर रही है.  लेकिन इस कंपनी के साथ भी विवाह शुरू हो गया है.  एंबुलेंस चालकों का कहना है कि हर बार नई  कंपनी आती है.  कुछ महीने अपने हिसाब से वेतन देती है और फिर चली जाती है. 
 
पूरे साल सेवा देने के बावजूद नियमित वेतन नहीं मिलता 

 पूरे साल सेवा देने के बावजूद नियमित वेतन तक नहीं मिलता है.  एंबुलेंस चालकों की मांग है कि उन्हें एनआरएचएम के तहत स्थाई रूप से बहाल किया जाए.  जिससे कि उन्हें भी सरकारी कर्मचारी की तरह सुविधा मिल सके.  आपको बता दें कि स्वास्थ्य सेवा को राज्य के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए झारखंड में 15 नवंबर 2017 को 108 एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की गई थी. तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के कार्यकाल में इसकी शुरुआत हुई थी.  कंपनी के साथ हुए इकरारनामा में सरकार ने कहा था कि सरकार और कंपनी के  बीच परस्पर समन्वय स्थापित होने के साथ यदि कंपनी का काम स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर होगा, तो आगे सेवा विस्तार कर दिया जाएगा.  लेकिन आगे सेवा विस्तार कंपनी को नहीं मिला.  आरोप  है कि जब-जब राज्य में स्वास्थ्य मंत्री बदले ,108 एंबुलेंस सेवा का जिम्मा किसी नई कंपनी को दे दिया गया. 
 
हर बार कर्मचारियों के साथ नया समझौता होता 
 
हर बार कर्मचारियों के साथ नया समझौता हुआ.  कई बार हड़ताल की गई.  सेवाएं  बाधित हुई, इन  सब का खामियाजा राज्य की जनता और मरीजों को भुगतना पड़ा. लेकिन कोई बदलाव नहीं हुआ.  जानकारी के अनुसार 108 एम्बुलेंस सेवा में 543 एंबुलेंस लगाए गए है.  बड़ी संख्या में एंबुलेंस अनफिट भी है.  फिलहाल 429 के लगभग एम्बुलेंस ऑपरेशनल है.  यह बात सच है कि इस सेवा से लोगों को सुविधा मिलती है.  जब भी सेवाएं बंद होती है, तो हाहाकार मच जाता है.  लेकिन सवाल उठता है कि मंत्रियों के साथ ही कंपनियां  क्यों बदल जाती है.  

रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो