झुमरी तिलैया(JHUMRI TELAIYA): आधुनिकता की आड़ में आकर हम लगातार मड़ुआ जैसे पौष्टिक और मोटे आहार को दरकिनार कर रहे हैं जो सही नहीं है. जबकि मड़ुआ खाने से शुगर, उच्च रक्तचाप  नियंत्रित रहता है. वहीं पेट सहित कई तरह की दूसरी बीमारियों से बचाव होता है. ये बातें प्रशिक्षक पूनम साहू ने इस संबंध में हुई एक ट्रेनिंग वर्कशाप में कहीं. मड़ुआ की खेती, प्रसंस्करण एवं मुल्यसंवर्द्धन को लेकर दो दिवसीय रिफ्रेशर ट्रेनिंग (पुनश्चर्या प्रशिक्षण) मंगलवार से प्रारंभ हुई. इसका आयोजन समर्पण एवं नाबार्ड के तत्वावधान में डंडाडीह पंचायत भवन में हुआ. उद्घाटन मुखिया सुनीता देवी, प्रशिक्षक पूनम साहू, पिंकी देवी और वार्ड सदस्य मोहिनी देवी ने किया.

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वहीं, पिंकी देवी ने कहा कि अपनी आय बढ़ाने के साथ-साथ मोटे अनाज के प्रति लोगों की मानसिकता बदलना इस ट्रेनिंग का उदेश्य है. उन्होंने बताया कि पिछले सत्रों में हमलोगों ने महिलाओं को मड़ुआ का धुस्का, मालपुआ, बालूशाही, चिल्ला, गुलगुल्ला, लड्डू, बर्फी, नुट्रीमिक्स, शकरपाला, बिस्कुट, निमकी आदि बनाने और मार्केटिंग करने आदि को लेकर ट्रेनिंग दिया गया था. महिलाओं ने मार्केटिंग कर अच्छी आमदनी भी की. अभी इसकी खेती की तैयारी चल रही है फिर से यहां की महिलाएं प्रसंस्करण में भागीदारी सुनिश्चित करेंगी.

15 दिवसीय प्रशिक्षण फायदेमंद रहा

प्रशिक्षण में पिछले दिनों आयोजित 15 दिवसीय प्रशिक्षण कितना फायदेमंद रहा, मडुआ की खेती किस हद तक की जा रही है, इसके लिए क्या तैयारी की जा रही है. इस साल कितनी खेती संभव है, प्रशिक्षण के बाद गुणवत्तापूर्ण उत्पादन, भंडारण, ब्रांडिंग और मार्केटिंग में क्या चुनौतियां रहीं, आदि विषयों पर गंभीर चर्चा की गई. प्रशिक्षण में मुख्यरूप से किरण देवी, मुनिया देवी, प्रियंका देवी, साक़िया देवी, गीता देवी, मंजू देवी, संतोषी देवी सहित कुल 34 प्रतिभागियों ने भाग लिया.

रिपोर्ट: अमित कुमार, झुमरी तिलैया