रांची (RANCHI ) - IMA झारखण्ड ने रविवार को IMA हाउस मोराबादी में एग्जीक्यूटिव कमिटी की मीटिंग रखी थी. सभी जिले के IMA के सदस्य इसमें हिस्सा लिए.सभी  ने सरकार से अपनी पुरानी मांगों के अलावा झारखंड में भी हरियाणा के मोड्यूल की तरह 50 बेड तक वाले हास्पिटल को क्लीनिकल एस्टब्लिशमेंट एक्ट (CEA) के दायरे से बाहर रखने की मांग की गयी है.सरकार अस्पतालों के लिए जरूरी सर्टिफिकेट बनवाने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम लागू करें और वह टाइम बाउंड हो1महीने के अंदर सर्टिफिकेट बना दिया जाय,क्योंकि छोटे-छोटे क्लिनिको में प्रबंधकों की बड़ी टीम नहीं होती है.हर जिला में  Clinical Establishment Act Committee में IMA Representative को रखने का प्रावधान है,लेकिन इसका अनुपालन नहीं हो पाया है.

 IMA सचीव डॉ प्रदीप ने की एक्ट में संशोधन की मांग 

मौके पर मौजूद IMA के सचिव डॉक्टर प्रदीप कुमार सिंह ने भी कई मांग रखी है.मेडिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट पर सभी ने अपनी बात रखी है.राज्य में इस एक्ट के कारण इलाज महंगा हो गया है.10 हजार का इलाज भी काफी महंगा हो जायेगा,राज्य सरकार से इस एक्ट में संशोधन की मांग रखी है.डॉक्टरों और पारामेडिकल टीम की कमी को पूरा करने की मांग रखी है. 

IMA कोषाध्यक्ष बी.कश्यप ने युवा डॉक्टरों के स्टार्टअप की रखी मांग 

वहीं मौके पर मौजूद IMA की कोषाध्यक्ष भारती कश्यप ने कहा कि सरकार जहां छोटे उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए उनके स्टार्टअप के लिए विशेष लोन की व्यवस्था की सुविधा दे रही है,वहीं दूसरी ओर युवा डॉक्टरों के स्टार्टअप को क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के द्वारा प्रोत्साहित करने की बजाए उसे खत्म किया जा रहा है और उन्हें कॉरपोरेट अस्पतालों में काम करने के लिए बाध्य किया जा रहा है. इसमें आम जनता का यह नुकसान है, कि युवा प्रशिक्षित डॉक्टर की छोटी क्लीनिक में इलाज बड़े कॉर्पोरेट अस्पताल की अपेक्षा सस्ता और अच्छा होता है.

रिपोर्ट:रंजना कुमारी (रांची ब्यूरो)