दुमका (DUMKA) के ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल में 1 करोड़ 42 लाख रुपए के सरकारी राशि गबन की प्राथमिकी 8 नवंबर को नगर थाना में दर्ज कराई गयी. इस मामले में अभी तक के अनुसंधान में पुलिस ने विभाग के वरीय लेखा लिपिक पंकज वर्मा और कंप्यूटर ऑपरेटर पवन गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

उम्मीद थी जल्द होगा खुलासा

इस मामले की प्राथमिकी दर्ज होते ही कोषागार द्वारा झारखंड सरकार के वित्त विभाग के अधीन काम करने वाली प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट यानी पीएमयू द्वारा जो साक्ष्य भेजा गया था उसे देखकर लगा था कि पुलिस के लिए अनुसंधान काफी आसान होगा. क्योंकि पीएमयू द्वारा जो साक्ष्य प्रस्तुत किया गया था उसमें एक मोबाइल नंबर का जिक्र था और यह बताया गया था कि इसी मोबाइल नंबर के सहारे कैंसिल चेक अपलोड करते समय ओटीपी का वेरिफिकेशन हुआ है. मोबाइल नम्बर है 8340604498. यह मोबाइल नंबर ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल दुमका के पूर्व रोकड़पाल इब्राहिम अंसारी के नाम पर है. अगस्त महीने में ही इब्राहिम का तबादला दुमका से रामगढ़ हो गया. इस साक्ष्य के आधार पर पुलिस ने अनुसंधान शुरू की और इब्राहिम को पूछताछ के लिए लाया गया. विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पुलिस द्वारा जब इस मोबाइल नंबर का सीडीआर खंगाला गया तो उसमें कहीं भी मैसेज के आने या बात करने का साक्ष्य नहीं मिला. इस आधार पर पुलिस ने इब्राहिम को छोड़ दिया.

सवाल यह भी


अब सवाल उठता है कि वित्त विभाग के अधीन एनआईसी की देखरेख में वर्ष 2013 से कार्य करने वाली पीएमयू यानी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट ने किस आधार पर साक्ष्य स्वरूप इब्राहिम का मोबाइल नंबर कोषागार को उपलब्ध कराया. अगर इस गबन मामले में इस मोबाइल नंबर के सहारे ओटीपी वेरीफिकेशन हुआ है तो फिर पुलिस द्वारा निकाले गए सीडीआर में कहीं भी मैसेज आने का उल्लेख क्यों नहीं हुआ. आखिर दुमका पुलिस और पीएमयू में से किसका तकनीकी अनुसंधान को सही माना जाए? अब पीएमयू का भी दायित्व बनता है कि वह इस गबन में ओटीपी वेरिफिकेशन के लिए उपयोग में लाए गए मोबाइल नंबर का डिटेल पुलिस के समक्ष प्रस्तुत करें, क्योंकि अब पीएमयू के साख पर सवाल खड़े होने लगे हैं.