सरायकेला (SARAIKELA) - कोल्हान में भाकपा माओवादी संगठन की पूरी तरह सफाए के लिए पुलिस एक खास रणनीति पर काम कर रही है और इस काम में माओवादी कमांडर महाराज प्रमाणिक का भरपूर साथ मिल रहा है. महाराज के दिए गए इनपुट पर पुलिस कई सफलता भी मिली है, जिससे माओवादियों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है, खासतौर पर भाकपा माओवादी के केंद्रीय समिति के सदस्य और इस इलाके के सबसे बड़े नेता अनल दा के दस्ते को नुकसान उठाना पड़ रहा है. आज अनल दा के बाॉडीगार्ड प्रकाश गोप ने पुलिस के समक्ष सरेंडर कर माओवादी को बडा झटका दिया है.
अनल दा और महाराज के बीच पुरानी रंजिश
नक्सली कमांडर महाराज प्रमाणिक और भाकपा माओवादी के केंद्रीय सदस्य और इस क्षेत्र के सबसे बड़े नक्सली नेता अनल दा के बीच कभी बेहतर संबंध नहीं रहे हैं. संगठन में दोनों एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे हैं. इसलिए आज पुलिस से मिलकर महाराज अनल दस्ते को नुकसान पहुंचाने में लगा है और उसके दस्ते के लोग भी या तो गिरफ्तार हो रहे हैं या फिर सरेंडर कर रहे हैं. अनिल दा के दस्ते के एरिया एरिया कमांडर गाजू उर्फ सूरज सरदार, बैलून सरदार और नक्सली सदस्य गीता मुंडा ने आत्मसमर्पण किया था. इसी फेहरिस्त में आज पुलिस ने एक और बड़ी सफलता हासिल की है. जिसके तहत नक्सली नेता अनल दा का बॉडीगार्ड प्रकाश गोप ने सरेंडर किया है. इतना ही नहीं पुलिस को नक्सली कमांडर महाराज प्रमाणिक द्वारा दिए गए इनपुट जिले के कुचाई थाना के कई जगहों पर पुलिस ने आईईडी बम और हथियार बरामद कर सफलता हासिल की है और पुलिस को संभावित खतरा पेश करने के नक्सलियों की रणनीति भी असफल हुई है.
सरकार की नई दिशा योजना को श्रेय दे रही पुलिस
अनल दा के बाॉडी गार्ड समेत अन्य नक्सलियों की गिरफ्तारी पर एसपी आनंद प्रकाश का कहना है कि कि झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण तथा पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर लगातार नक्सली आत्मसमर्पण कर रहे हैं. वर्ष 2020 में भाकपा माओवादी एरिया कमांडर राकेश मुंडा और चांदनी सरदार उर्फ बुधनी सरदार ने आत्मसमर्पण किया था. जबकि कुछ महीने पूर्व भाकपा माओवादी के नक्सली नेता अनल दा के टीम के एरिया कमांडर गाजू उर्फ सूरज सरदार, बैलून सरदार और गीता मुंडा ने आत्मसमर्पण किया था. जबकि अब अनल दा का बॉडीगार्ड प्रकाश गोप ने आत्मसमर्पण किया है. नक्सलियों के खिलाफ पुलिस की यह एक काफी बेहतर सफलता है. आत्मसमर्पण करने के बाद नक्सली प्रकाश गोप ने भी कहा कि वह झारखंड के आत्मसमर्पण पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर नक्सली संगठन को छोड़कर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है. वे आगे की जिंदगी आम लोगों की तरह सुख चैन से जीना चाहते हैं. उन्होंने अपनी वेदना सुनाते हुए कहा कि नक्सली संगठन में रहकर उनका काफी शोषण हुआ. उन्होंने अन्य नक्सलियों से झारखंड सरकार की आत्मसमर्पण में पुनर्वास नीति का लाभ उठाने की अपील की है.
रिपोर्ट : विकास कुमार, सरायकेला
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