दुमका(DUMKA): झारखंड में आदिम जनजाति विलुप्त हो रहे है. विलुप्तप्राय आदिम जनजाति सुरक्षित रहे इसके लिए सरकार द्वारा कई कल्याणकारी योजना चलाई जा रही है. पूर्ववर्ती सरकार ने आदिम जनजाति को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के उद्देश्य ने SIRB यानी स्पेशल इंडियन रिज़र्व बटालियन का गठन किया जिसे पहाड़िया बटालियन भी कहते है.  

गर्भ में ही 7 माह के शिशु की मौत हुई

SIRB में कार्यरत बिरहोर समाज की गर्भवती महिला आरक्षी सरोज बिरहोर की दर्दनाक कहानी सभी को झंकझोर कर रख देगी. सरोज पर संवेदनहीन सिस्टम की मार ऐसी पड़ी की उसके गर्भ में ही 7 माह के शिशु की मौत हो गयी.  दरअसल, सरोज की शादी सूरज देवगम से 19 अप्रैल 2021 को हुई थी. सूरज राउलकेला में सिविल इंजीनियर हैं. सरोज पहाड़िया बटालियन में थी, सरोज का पहले भी 3 महीने का एक बच्चा  खराब हो चुका था इसके बाद यह उसका दूसरा बच्चा था.

गर्भवती अवस्था में अपने स्वास्थ्य जांच के लिए गई सरोज को विभागीय कर्मियों ने रांची से सिमडेगा भेज दिया था. अपनी ऐसी हालत के चलते महिला ने काफी आग्रह किया पर किसी ने उसकी एक नही सुनी. बेहाल हालत में अपने बच्चे के लिए सरोज ने सिमडेगा जाने से मना कर दिया था. जिसके बाद अधिकारियों ने उसके खिलाफ रिपोर्ट बनाकर वरीय पदाधिकारी को भेजा गया.  जिससे सरोज बिरहोर काफी डर गई थी और इस बीच अधिकारियों ने रांची से दुमका का कमान भी काट दिया. मजबूरन उसे ऐसी परिस्थिति में दुमका आना पड़ा और इस भागदौड़ उसके 7 माह से गर्भ में पल रहे शिशु के जन्म लेने से पहले ही मौत हो गयी. 17 अप्रैल को दुमका कौशल्या नर्सिंग होम में प्रसुता के पेट से मृत बच्चे को निकाला गया.

विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से हुई गोद सूनी

एसआईआरबी बटालियन की महिला आरक्षी सरोज बिरहोर ने बताया कि अगर उसको विभागीय अधिकारियों का सहयोग मिलता तो आज उसकी गोद सूनी नहीं होती. उसका आरोप है कि उसकी परेशानी को विभागीय अधिकारियों ने नजरअंदाज किया. सरोज का कहना है कि चिकित्सक ने उसे रेस्ट लेने और सफर नहीं करने की कड़ी हिदायत दी थी. सात महीने के गर्भवती होने के बावजूद विभाग ने रांची से दुमका के लिए कमान काट दिया. काफी अनुरोध करने के बाद भी अधिकारी अपने निर्णय पर अड़े रहे और 1 मार्च को लंबी दूरी तय कर सरोज दुमका पहुंची. उसके बाद से ही उसकी तबीयत खराब होने लगी. 5 मार्च को एहसास हुआ कि बच्चा पेट में हिलना डोलना बंद कर दिया है जिसके बाद वो तुरंत डॉक्टर के पास गयी. चिकित्सक ने कहा कि बच्चे की हालत ठीक नही है. आगे सरोज ने बताया कि धीरे धीरे उसकी हालत बिगड़ने लगी और उसका पेट भी फुल रहा था.  उसने कहा कि वह डर से डॉक्टर के पास नहीं जा रही थी जिससे डॉक्टर यह ना कह दे कि बच्चा अब नहीं है. अंत मे परिजनों के द्वारा 14 अप्रैल को निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया. अल्ट्रासोनोग्राफी रिपोर्ट में बच्चा पेट में मृत पाया गया. 17 अप्रैल को ऑपरेशन के बाद प्रसुता के पेट से मृत बच्चे को निकाला गया.

सरोज ने बताया कि चिकित्सकों की मेहनत से किसी तरह जान बच पायी लेकिन उसका बच्चा नहीं बच पाया. उसने कहा कि गर्भवती होने के बाद से ही उसे काफी परेशानियाँ हो रही थी. विभाग को डॉक्टर का जांच रिपोर्ट और स्थिति से भी अवगत कराया गया लेकिन उन्होंने मामले को गंभीरता से नही लिया. उसने रोते हुए बताया कि उल्टे विभाग ने उसे भगोड़ा और बदचलन का रिपोर्ट आगे बढ़ा दी काम में लापरवाही का आरोप लगाते हुए पेंमेंट पर भी रोक लगा दिया गया. फिलहाल, सरोज के पति सूरज देवगम राउरकेला से दुमका पहुंचे हुए है.

शादी की सालगिराह की खुशी बदली गम में

सरोज ने रोते रोते कहा कि आज उनकी शादी का सालगिरह है. बच्चे के चले जाने से पूरी खुशी गम में बदल गयी. सरोज ने बताया कि आज जिस प्रकार की घटना मेरे साथ घटी है आगे किसी और महिला आरक्षी के साथ न घटे इसके लिए उसने वरीय अधिकारी से इंसाफ की मांग की है. महिलाओं को मां बनने के लिए मातृत्व अवकाश हर विभाग के द्वारा दिया जाता है ऐसे में यह जांच का विषय है कि 7 माह की गर्भवती इस आदिम जनजाति की महिला को अवकाश क्यों नहीं दिया गया वही कौशल्या नर्सिंग होम के संचालक डॉक्टर मनीष का कहना है कि यदि 1 दिन भी देर होता तो मां को भी नहीं बचा पाते.  

 

रिपोर्ट: पंचम झा, दुमका