रांची(RANCHI): राज्यपाल रमेश बैस नै मंगलवार को चंडीगढ़, राज भवन, पंजाब में पूज्य संत प्रवर श्री विजय कौशल जी महराज जी द्वारा प्रस्तुत श्री राम कथा अमृत वर्षा कार्यक्रम में भाग लिया.
इस मौके पर राज्यपाल, पंजाब और प्रशासक, चंडीगढ़ बनवारीलाल पुरोहित भी मौजूद थे. राज्यपाल ने इस मौके पर कहा कि यह मेरा सौभाग्य है कि परम पूज्य संत प्रवर श्री विजय कौशल जी महाराज के श्रीमुख से मुझे श्री राम कथा सुनने का अवसर मिला. मैं महाराज जी के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूं तथा झारखंड की जनता की सुख, समृद्धि के लिए उनसे आशीर्वाद मांगता हूं. जब भी धार्मिक स्थलों व कार्यक्रमों में जाता हूं तो मैं वहां कथा, भजन, कीर्तन आदि सुनना पसंद करता हूँ, न कि भाषण देना. भजन, कीर्तन, कथाओं को सुनने से मन को सुकून मिलता है. जो कण-कण में बसे हैं, वही राम है. श्रीराम के जीवन की अनुपम कथाएं महर्षि वाल्मीकि जी ने बड़े ही सुंदर ढ़ंग से रामायण में प्रस्तुत किया है. इसके अतिरिक्त गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस रच कर जन-जन के हृदय तक श्रीराम के विचारों व आदर्शों को पहुंचाने का सफल कार्य किया. करुणा, त्याग और समर्पण की मूर्ति भगवान राम ने विनम्रता, मर्यादा, धैर्य और पराक्रम के उदाहरण संसार के सामने प्रस्तुत किया.भगवान राम को दुनिया में एक आदर्श पुत्र के रूप में माना जाता है.
"भगवान राम के लिए जन सेवा ही था सर्वोपरि"
उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम सिर्फ एक आदर्श पुत्र के साथ आदर्श पति, आदर्श भाई, आदर्श मित्र, आदर्श शिष्य और आदर्श राजा भी थे.उनके लिए जन-सेवा सर्वोपरि थी. वे प्रजा के हर सुख-दुःख में उनके साथी थे. इसलिए प्रजा भी उनसे उतना ही प्रेम करती थी.भगवान राम आदर्श व्यक्तित्व के प्रतीक हैं.शबरी के जूठे बेर खाकर, उन्होंने सबके सामने एक आदर्श रखा कि सच्चे प्रेम के आगे बड़े से बड़े व्यक्ति को झुकना पड़ता है. साथ ही, इसमें अस्पृश्यता का समाज से उन्मूलन करने का संदेश निहित है. निषाद राज से घनिष्ट मित्रता जाति विभेद को दूर करने की प्रेरणा देता है.
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