रांची (RANCHI) :  ऐसे तो सूबे में आम और खास, दोनों कई कारणों से परेशान हैं. कोई बिजली के लिए परेशान है तो कोई पानी के लिए. इस बार एक और तबका सरकार से नाराज नजर आ रहा. वह तबका है शराबियों का. शराब नहीं मिलने की वजह से सिर्फ बीयर से काम चला रहे थे. लेकिन अब बीयर पर भी आफत है. अन्य वजहों की तरह इसके लिए भी सरकार ही जिम्मेवार है. चाहे समस्या नई उत्पाद नीति में हो या उसे लागू कराने की कोशिशों में, इतना तय है कि इस मोर्चे पर भी सरकार फेल नजर आ रही. झारखंड के आठ जिलों में  शराब की दुकानों पर ताले लटके हैं और पीने वाले मायूस भटक रहे. वहीं जिन 16 जिलों में दुकानें खुली भीं, शौकीनों के कई अरमान अधूरे रहे गए. ऐसा अब तक कभी झारखंड में नहीं हुआ था. अब तक विशेष परिस्थितियों में ही आपदा अधिनियम के तहत ही दुकानें बंद कराई जाती रही है. पर झारखंड के आठ जिलों में तीन दिनों से शराब की दुकानों का शटर गिरा हुआ है.

क्या है मामला

झारखंड में अभी शराब की बिक्री से लगभग अट्ठारह सौ करोड़ राजस्व की प्राप्ति होती है.  नई उत्पाद नीति के सहारे सरकार इसे 3000 करोड़ रुपए की ऊंचाई पर पहुंचाना चाहती है. दो मई से राज्य में नई उत्पाद नीति के तहत शराब की बिक्री होनी थी. लेकिन शराब कारोबारियों में इस नीति को लेकर हड़कंप है, वहीं राजनीति भी तेज है. शराब कारोबारियों का मानना है कि सरकार ने जो लक्ष्य दिया है, उसे पूरा करना कठिन नहीं, बल्कि असंभव है. विरोध का आलम इस हद तक है कि राज्य के सबसे बड़े खुदरा शराब व्यापारी ने अपना लाइसेंस सरकार को सरेंडर कर दिया है. 6 करोड़ 60 लाख बल्क लीटर सालाना शराब और बीयर बेचने का सरकारी लक्ष्य, एक दिन में 1 लाख 80 हजार 821.91 बल्क लीटर शराब और बीयर बेचने का लक्ष्य है. 

पेशाब से मूंछ मुड़वाएंगे संघ के अध्यक्ष

झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ की दो टूक है- सरकार ने जो लक्ष्य दिया है, उसे पूरा करना असंभव है. संघ के अध्यक्ष ने तो इतना तक कह दिया कि गर कोई इस लक्ष्य को पूरा कर लेगा तो वह अपने पेशाब से अपनी मूंछ मुड़वा लेंगे. इन्हीं सब वजहों से शराब का टेंडर लेने में शराब कारोबारी कोई रूचि नहीं दिखा रहे. टेंडर प्रक्रिया पूरी करने में विभाग के पसीने छूट रहे हैं. यही कारण है कि झारखंड में लगातार तीसरे दिन आठ जिलों में शराब की दुकानें नहीं खुलीं.

बीयर तक को आफत !

 दो मई से नई उत्पाद नीति के तहत बिक्री होनी थी. एक मई को झारखंड में ड्राई डे था. इस कारण लगातार तीन दिनों से रांची, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, सिमडेगा, पलामू, गढ़वा व लातेहार जिला में शराब की दुकानों पर ताले लटके हैं. जिन 16 जिलों में दुकानें खुलीं, वहां कई जगहों पर बीयर की किल्लत के कारण शौकीन खफा हैं. जानकारी के मुताबिक बीयर की सप्लाई नहीं होना इसकी वजह है.