लोहरदगा(LOHARDAGA)-उपायुक्त दिलीप कुमार टोप्पो द्वारा सेन्हा के आदर्श ग्राम बदला स्थित राजकीयकृत उत्क्रमित उच्च विद्यालय प्रांगण में जेएसएलपीएस से जुड़ीं 73 लाभुकों के बीच एक-एक यूनिट मुर्गी चूजा का वितरण किया गया. प्रति यूनिट 40 मुर्गी चूजा लाभुकों को दिया गया. कार्यक्रम में लाभुकों को संबोधित करते हुए उपायुक्त ने कहा कि जेएसएलपीएस की ओर से कई कल्याणकारी योजनाएं धरातल पर पहुंचायी जा रही हैं. मुर्गी पालन भी इनमें से एक है जिससे लोगों की आय में वृद्धि हो रही है. यह ग्रामीण विकास विभाग और जेएसएलपीएस का मिला जुला प्रयास है. अंडा उत्पादन में यह जिला अग्रणी बन सकता है. लोहरदगा जिला में अंडा के लिए बाजार उपलब्ध है. ऐसे में ग्रामीण दूसरों के लिए उदाहरण बन सकेंगे . इस कोशिश से क्षेत्र से पलायन रूकेंगी और रोजगार के अवसर बढ़ेगें. इस मौके पर उपायुक्त ने यह भी कहा कि मुर्गी उत्पादन के साथ-साथ बकरा विकास योजना से भी लोग अपनी आय बढ़ा सकते हैं. इस योजना में एक बकरा और आठ बकरियां लाभुक को दी जाती हैं. बकरी पालन गरीबों का एटीएम साबित हो सकता है. व्यवसायिक कृषि से ग्रामीण बच्चों को पढ़ाने लिखाने के साथ-साथ कई बाकी जरुरतें भी पूरी कर पायेगें.
किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार कृतसंकल्प
उप विकास आयुक्त अखौरी शशांक सिन्हा ने कार्यक्रम में कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार कृत संकल्प है.किसानों को जोहार परियोजना से जुड़कर इसका लाभ उठाना चाहिए ताकि उनकी आय बढ़ सके. अभी अंडा उत्पादन से किसान जुड़ रहे हैं जिसकी खपत के लिए बाजार के रूप में विद्यालय उपलब्ध हैं. सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन में अंडा की जरूरत को पूरा करने के लिए किसान उत्पादक की भूमिका निभा कर अच्छा आए कमा सकते हैं.
चार प्रखंडों में संचालित है जोहार परियोजना
कार्यक्रम में जेएसएलपीएस के जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुजीत बारी ने बताया कि जोहार परियोजना के अन्तर्गत लोहरदगा जिले के 4 प्रखंडो (कुडू, भंडरा, किस्को एवं सेन्हा) में संचालित किया जा रहा है. सेन्हा प्रखंड में मुख्यतः पशुपालन की गतिविधियों के माध्यम से उत्पादक समूह से जुडी सदस्यों का अपनी आजीविका सुरक्षित कर रही हैं. जोहार परियोजना अंतर्गत सेन्हा प्रखंड के 39 गांव में 39 उत्पादक समूह का गठन कर 2072 ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा गया है जिनमे बकरी पालन हेतु 22 उत्पादक समूह और 17 उत्पादक समूह मुर्गी पालन हेतु गठित किया गया है. बकरी पालन गतिविधि में 989 परिवारों को तथा मुर्गी पालन गतिविधि में 1083 परिवारों को जोड़ा गया है. इन गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित करने साथ 41 पशु सखियों का चयनित कर जिले स्तर से प्रशिक्षण मुहैया कराया गया है जिनका मुख्य काम उत्पादक समूह का बैठक आयोजित कर समूह से जुड़े महिलाओं को बकरी और मुर्गी पालन का तकनीकी ज्ञान से अवगत करना है.
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