हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहनों के प्रेम का प्रतीक माना गया है. ये पर्व हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. रक्षा बंधन आने में सिर्फ कुछ ही दिन शेष बचे है.जिसे लेकर बहनें अभी से ही राखी की तैयारियां में लग गयी है. रक्षा बंधन इस बार 22 अगस्त को मनाया जाएगा.लेकिन इस बार रक्षाबंधन पर 474 साल बाद एक खास महासंयोग बन रहा हैं.इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार बहुत ही शुभ योग और भद्रारहित काल में है.अच्छे मुहूर्त और भद्रारहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से भाई को कार्य सिद्धि और विजय की प्राप्त होती है. तो  आइए जानते हैं इस दिन बन रहे महासंयोग के बारे में..

474 साल बाद एक खास महासंयोग

आमतौर पर रक्षाबंधन का पर्व श्रवण नक्षत्र में मनाया जाता हैं, लेकिन इस बार यह सावन पूर्णिमा पर घनिष्ठा नक्षत्र के साथ मनाया जाएगा,वहीं ज्योतिषियों के अनुसार इस बार रक्षा बंधन पर ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग 474 साल बाद बन रहा है. इससे पहले 11 अगस्त 1547 को ग्रहों की ऐसी स्थिति बनी थी.वही ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक इस बार राखी पर सिंह राशि में सूर्य, मंगल और बुध ग्रह एक साथ विराजामन होंगे,सिंह राशि का स्वामी सूर्य है, इस राशि में मित्र मंगल भी उनके साथ रहेगा, जबकि शुक्र कन्या राशि में होगा. ग्रहों का ऐसा योग बहुत ही शुभ और फलदायी रहने वाला हैं. बता दें कि राखी पर इस बार भद्रा का साया नहीं होगा, जिसके कारण बहनें पूरे दिन भाई को राखी बांध सकती हैं.

जाने क्या है शुभ मुहूर्त

इस बार रक्षाबंधन पर सुबह 5.50 से लेकर शाम 6.03 तक शुभ मुहूर्त है,  आप इस दौरान कभी भी राखी बांध या बंधवा सकते हैं. जबकि भद्रा काल 23 अगस्त को सुबह 5 बजकर 34 मिनट से 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा. इस दिन शोभन योग सुबह 10 बजकर 34 मिनट तक तक रहेगा और धनिष्ठा नक्षत्र शाम 7 बजकर 40 मिनट तक रहेगा. ऐसा कहते हैं कि धनिष्ठा नक्षत्र में पैदा होने वाले लोगों का भाई-बहन से रिश्ता बहुत खास होता है.

भाग्यशाली बनता है ये योग

रक्षाबंधन पर ऐसा संयोग भाई-बहन के लिए अत्यंत लाभकारी और कल्याणकारी रहेगा ,गुरु और चंद्रमा की इस युति से रक्षाबंधन पर गजकेसरी योग बन रहा है.गजकेसरी योग से इंसान की महत्वाकांक्षाएं पूरी होती हैं. धन सम्पत्ति, मकान, वाहन जैसे सुखों की प्राप्ति होती है, गजकेसरी योग से राजसी सुख और समाज में मान-सम्मान की भी प्राप्ति होती है,साथ ही इस योग में घर में सुखों की प्राप्ति होती है.