देवघर(DEOGHAR)- झारखंड को अलग राज्य बनाने को लेकर 1989 में जामताड़ा से रेल रोको आंदोलन से लड़ाई की बिगुल फूंकी गयी थी. तब झारखंड अभिवाजित बिहार राज्य का अंग था. अलग राज्य के लिए पुरजोर आंदोलन शुरू हुआ. काफी लंबा चले इस आंदोलन में हज़ारों की गिरफ्तारी हुई और सैकड़ों ने अपनी जान गंवाई. लगातार आंदोलन के कारण आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा और 15 नवंबर 2000 को अलग राज्य की स्थापना हुई.
रिकॉर्ड के आधार पर चिन्हित
बता दें कि सरकार की तरफ से झारखंड को अलग राज्य बनाने में जिन्होंने योगदान दिया उन्हें चिन्हित कर झारखंड आंदोलनकारी का दर्जा देने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए 2015-2017 में आवेदन भी स्वीकृत की गई. अलग राज्य आंदोलन में हज़ारों लोगों ने अपना योगदान और दावे की प्रति लगाकर आवेदन भी भरा. सरकार की ओर से जांच करा उन्हें चिन्हित कर झारखंड आंदोलनकारी का दर्जा भी दिया गया. दर्जा प्राप्त करने वाले या तो आंदोलन में शहीद हुए या फिर जेल गए थे. संबंधित थानों के रिकॉर्ड के आधार पर उन्हें चिन्हित किया गया चाहे आंदोलन कारी कैम्प या आवासीय जेल में रहे.
आंदोलनकारी का दर्जा
अब झारखंड सरकार ने आंदोलन में शामिल हुए आंदोलनकारी जो जेल नहीं गए या फिर आंदोलन में शामिल होने के बाद भी पुलिसिया गिरफ्तारी के डर से फरार हो गए. उनका पुलिस रिकॉर्ड में अज्ञात नाम से मामला दर्ज था. अब सरकार उन्हें भी चिन्हिति कर आंदोलकारी का दर्जा देने जा रही है. इन लोगों की पहचान गठित झारखंड आंदोलनकारी चिन्हिति करण आयोग द्वारा कराई जा रही है. अब जो लोग झारखंड को अलग से राज्य बनाने के लिए आंदोलन कर रहे थे, जिनका नाम किसी थाने में, जो कभी कैम्प या आवासीय जेल नहीं गए उनको पहचाना जा रहा है.
कोर्ट एफिडेविट के आधार पर मिलेगा आंदोलनकारी का दर्जा
नवगठित आयोग के सदस्य नरसिंह मुर्मू के अनुसार ऐसे आंदोलनकारी की पहचान के लिए सभी आंदोलन स्थल पर जाकर और सभी थानों के रिकॉर्ड के आधार पर जांच कराया जाएगा. जो लोग आंदोलन कारी का दर्जा ले लिए है उनसे जानकारी ली जाएगी. जो लोग आंदोलन में शामिल हुए मगर पुलिसिया रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज नहीं है, उन लोगों की पहचान आंदोलनकारी का दर्जा लेने वाले से कराई जा रही है. उनके द्वारा आंदोलन में कौन कौन आदमी शामिल थे उनके द्वारा दिये गए नाम को और कोर्ट एफिडेविट के आधार पर उन्हें आंदोलनकारी का दर्जा दिया जाएगा. प्राप्त नामों और उनके आवेदन पर विचार करने के बाद ही उन्हें आंदोलन कारी के क्षेणी में लाया जाएगा. सरकार की ओर से आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले लोग या उनके आश्रितों को 3 से 7 हज़ार तक पेंशन भी दी जा रही है. अज्ञात लोगों को चिन्हिति कर आंदोलन का दर्जा देने के लिए सरकार की पहल पर कइयों के चेहरे खिल गए है.
रिपोर्ट : रितुराज सिन्हा, देवघर
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