धनबाद(DHANBAD) - कोयले की राजधानी धनबाद ,खुद भूखे (बिजली के मामले में) रहकर दूसरों का पेट भरने वाला धनबाद आज 65 साल का हो गया. 24 अक्टूबर '1956 को बंगाल  के मानभूम से काटकर धनबाद को जिला बनाया गया था. हालांकि ;1991 में इसके भी दो भाग हुए और बोकारो जिला धनबाद से अलग हो गया. उस वक्त तेज तर्रार अधिकारी अफजल अमानुल्ला धनबाद के डीसी थे. अपने 65 साल के जीवन में धनबाद पाया कम ,उसकी हकमारी अधिक हुई ,हालांकि शहर और ज़िले का विकास  हुआ जरूर है लेकिन गति की कमी पहले भी थी और आज भी है. धनबाद की आंचल  में आईआईटी ISM ,सिंफर ,डीजीएमए स ,सीएमपीएफ के मुख्यालय है ,वही बीसीसीएल ,इसील सहित सेल  की खदाने है.साक्षरता दर अभी 74 प्रतिशत है. 2017 में धनबाद को बीबीएमकेयू विश्वविधालय भी मिला. धनबाद जिसका हकदार था ,उसकी भी सूचि लम्बी है.

नहीं मिला एयर कनेक्टिविटी

खूब हो हल्ला के बाद भी धनबाद को एयर कनेक्टिविटी नहीं मिला. धनबाद इसकी सारी आहर्ता पूरी करता है ,लेकिन राजनीतिक कारणों से इस ज़िले को लाभ से वंचित रखा गया. एयर पोर्ट हम कह सकते है कि धनबाद से छीन कर देवघर को दे दिया गया. जब यहाँ के लोग मांग तेज करते है तो लॉलीपोप थमा दिया जाता है.

एम्स जैसा अस्पताल
 धनबाद को अभी तक कोई सरकारी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नहीं मिल पाया. धनबाद के साथ नाइंसाफी कर एम्स  को भी देवघर ले जाया गया.
नहीं मिला स्टेडियम धनबाद को नहीं मिला अत्याधुनिक स्टेडियम . धनबाद में खिलाड़ियों की कमी नहीं है. ताकतवर क्रिकेट और फुटबॉल सहित अन्य खेलो का संघ भी है. मांग भी होती है ,रांची से लेकर दिल्ली तक. बता दें कि धनबाद में क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए केवल जमीन की जरुरत है. क्रिकेट संघ का दावा  है कि लगभग 200 करोड़ बीसीसीआई वहन कर लेगा.

ट्रैफिक की समस्या
 

ट्रैफिक यहाँ के लिए 65 सालो में भी बड़ी परेशानी बनी हुई है. शहर का जिस तेजी से विस्तार हुआ ,उस अनुपात में सडकों या फ्लाईओवर का निर्माण नहीं हुआ. पार्किंग की भी कोई कारगर उपाय नहीं किये गए. 1972 में जहां ज़िले की जनसंख्या 12 लाख के आसपास थी वही अभी की आबादी 30 लाख से अधिक है.
धनबाद जिला चेंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों से लेकर धनबाद के व्यवसायियों, उद्योगपतियों ,शिक्षाविदों,जनप्रतिनिधियों,राजनीतिक दल के नेताओं बिल्डरों एवं शहर के गणमान्य लोगों की राय द न्यूज़ पोस्ट ब्यूरो हेड अभिषेक कुमार सिंह ने जाना तो सभी ने स्वीकार किया कि इन 65 वर्षों में जितना धनबाद को विकास करना चाहिए ,उतना नहीं कर पाया उसका सबसे बड़ा कारण राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव और विभिन्न सरकारों का ध्यान नहीं दिया जाना। खास तौर पर औद्योगिक विकास के लिए धनबाद को अब तक एयरपोर्ट की सुविधा नहीं दिया जाना एक प्रमुख कारण है. देश को सर्वाधिक राजस्व देने वाला  धनबाद पिछले 65 वर्षों में आखिर पिछड़ा तो क्यों पिछड़ा ,चूक कहां हुई. इस पूरे मसले पर आम व खास लोगों की राय जानने के साथ ही द न्यूज़ पोस्ट ब्यूरो हेड अभिषेक कुमार सिंह ने वरिष्ठ पत्रकार सत्य भूषण सिंह उर्फ बड़कू भैया से चर्चा की देखिए.. इस खास रिपोर्ट में...