धनबाद(DHANBAD): झारखंड का संथाल परगना भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों के प्राथमिकता सूची में है. झारखंड मुक्ति मोर्चा का तो संथाल परगना आधार ही है लेकिन भाजपा इसमें लगातार सेंध मारने की कोशिश कर रही है. इधर, सूचना मिल रही है कि राजमहल सीट से भाजपा के टिकट पर दो बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले क्षेत्र के कद्दावर नेता हेमलाल मुर्मू अब फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थामेंगे. 11 अप्रैल को विधिवत वह झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल हो जाएंगे. मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र बरहेट में भव्य आयोजन होगा. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उपस्थित रह सकते हैं. पार्टी लाइन पर सारी औपचारिकताएं पूरी कर लेने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के  सुप्रीमो ने हेमलाल मुर्मू के घर वापसी को हरी झंडी दे दी है.

हेमलाल मुर्मू  की घर वापसी 

हेमलाल मुर्मू संथाल परगना के कद्दावर नेता में गिने जाते हैं. जिस सीट पर अभी मुख्यमंत्री विधायक हैं ,उसी सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर हेमलाल मुर्मू 1990, 1995, 2000 और 2009 में विधायक रह चुके हैं. 2004 में झारखंड मुक्ति मोर्चा के टिकट पर कांग्रेस से दोस्ताना संघर्ष के बीच राजमहल सीट से सांसद बने थे. 2014 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हो गए थे. लेकिन अब फिर घर वापसी कर रहे हैं. संथाल की राजनीति में इसका क्या असर होगा, यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन इतना तो साफ हो गया है कि तोड़फोड़ की राजनीति शुरू हो गई है.

2024 की तैयारी में जुटा झारखंड 

भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी संथाल परगना को टारगेट में लिए हुए हैं. गृह मंत्री अमित शाह भी संथाल परगना का दौरा कर चुके हैं. भाजपा को राजमहल सीट खटक रही है. तमाम प्रयास के बाद भी राजमहल सीट लोकसभा में भाजपा को नहीं मिली है. देवघर को ऐम्स, एयरपोर्ट देकर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अपनी पीठ थपथपा रहा है. इधर, गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने गोड्डा संसदीय क्षेत्र के विकास के लिए दिए जाने वाले आर्थिक पैकेज के लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए ट्वीट किया है कि बाबा धाम की भूमि पर शिवभक्त प्रधानमंत्री के 10000 करोड़ की योजना की सौगात गोड्डा लोकसभा को नए विकास की राह पर ले जाएगा. प्रधानमंत्री का बेमिसाल कार्यकाल का यह एक बेहतरीन परिणाम है. इसके लिए हम प्रधानमंत्री का आभार प्रकट करते हैं .संथाल परगना में सांसद निशिकांत दुबे लगातार प्रयासरत है कि इलाके का विकास हो और वोटरों को भाजपा की ओर मोड़ा जा सके. दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा भी कोई कसर छोड़ने को तैयार नहीं है. झारखंड में तो 2024 को लेकर अभी से ही ताना-बाना बुना जाने लगा है.

रिपोर्ट: धनबाद ब्यूरो