धनबाद (DHANBAD) : 9 दिसंबर से झारखंड विधानसभा का पहला सत्र शुरू हो रहा है. लेकिन इस बार यह कुछ बदला-बदला दिखेगा. विपक्ष और कमजोर दिखेगा तो सत्ता पक्ष हावी रहेगा. मनोनीत विधायक या कोई और नहीं रहेगा. संविधान में संशोधन के बाद एंग्लो इंडियन के मनोनयन का यह पद पूरे देश में खत्म कर दिया गया है. इस बार संख्या बल में भी विपक्ष कमजोर रहेगा. 25 विधायकों वाली भाजपा के केवल 21 विधायक जीत कर आए हैं. आजसू के पिछले विधानसभा में तीन विधायक थे. अब एक रह गए हैं. लोजपा के भी एक और जदयू के भी एक विधायक हैं.

अगर एनडीए कुनबे की बात की जाए तो कुल 24 विधायक होंगे. बिरंची नारायण, भानु प्रताप शाही, अनंत ओझा, रणधीर सिंह चुनाव हार गए हैं. आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो भी चुनाव हार गए हैं. वैसे तो सत्ता पक्ष से मिथिलेश ठाकुर, बैजनाथ राम, विनोद सिंह भी नजर नहीं आएंगे. सदन में इस बार 20 नए चेहरे दिखेंगे. जो पहली बार चुनाव जीते हैं. पहली बार 12 महिलाएं चुनाव जीतकर आई हैं. यह बात भी लगभग तय मानकर चला जा रहा है कि यह सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष का ही चलेगा. भाजपा कोटे से ही नेता प्रतिपक्ष आज नहीं तो कल बनेंगे. क्योंकि भाजपा ही झारखंड में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में आई है. इधर दोनों पक्ष पहले सत्र को लेकर अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं. यह सत्र 12 दिसंबर तक चलेगा. 28 नवंबर को मुख्यमंत्री के शपथ लेने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो गया है. नए मंत्रियों ने शपथ भी ले ली है. अपने काम में भी लग गए हैं.

झारखंड में महागठबंधन की नई सरकार के पास जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने का एक बड़ा चुनौती भी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन चुनौतियों से वाकिफ है और इस दिशा में काम भी कर रहे हैं. महागठबंधन की सरकार इस बार लंबी लकीर खींचने की कोशिश में है. जमीनी जांच पड़ताल के बाद रोड मैप बनाने के लिए 17 बिंदुओं पर काम करने का सुझाव मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी मंत्रियों एवं विधायकों को दिया है. पारदर्शी व्यवस्था के लिए उन्होंने अन्य काई सुझाव भी मंत्रियों को दिए हैं. मंत्रियों के सामने भी कम बड़ी चुनौती नहीं है.

रिपोर्ट-धनबाद ब्यूरो