रांची(RANCHI):
सिरमटोली फ्लाईओवर रैंप को लेकर जारी विवाद अब एक नए मोड़ पर पहुंच गया है. एक विशेष बैठक में झारखंड सरकार की पूर्व मंत्री गीता श्री उरांव ने आदिवासी हितों को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि पिछले चार महीने से रैंप को हटाने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन चलाया जा रहा है, लेकिन सरकार ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी. हमने लोकतांत्रिक तरीके से सरकार से मांग की, मगर हमें केवल निराशा मिली. 24 अप्रैल को जब प्रशासन ने पूरे क्षेत्र को छावनी में बदलकर रैंप निर्माण का कार्य शुरू किया, तब हमें समझ में आ गया कि सरकार जबरन यह परियोजना थोपना चाहती है.

आदिवासी बचाओ मोर्चा की घोषणा:

बैठक में पूर्व मंत्री ने ऐलान किया कि अब इस आंदोलन को व्यापक रूप देते हुए 'आदिवासी बचाओ मोर्चा' की शुरुआत की गई है. उन्होंने कहा कि अब यह केवल एक रैंप का मामला नहीं रहा. यह हमारे अस्तित्व, हमारी परंपराओं और संवैधानिक अधिकारों का मुद्दा बन चुका है. गीता श्री उरांव ने राज्य में पेसा कानून के अब तक लागू न होने पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया.

धर्म कॉलम कोड और आदिवासी अस्मिता:

पूर्व मंत्री ने धर्म कॉलम कोड के मुद्दे को भी ज़ोरशोर से उठाया. उन्होंने बताया कि 2011 की जनगणना में सरना धर्मावलंबियों की संख्या करीब 50 लाख थी, फिर भी 2019 में जनगणना प्रपत्र से ट्राइबल धर्म कॉलम कोड को हटा दिया गया. गीता श्री उराँव आगे कहतीं नजर आई कि राज्य सरकार ने 2020 में सरना धर्म कोड प्रस्ताव को विधानसभा में पारित कर केंद्र को भेजा था, लेकिन वह अब भी लंबित पड़ा है.

गीता श्री उरांव ने साफ शब्दों में कहा कि आदिवासियों की धार्मिक और सामाजिक आस्था से जुड़े मुद्दों को दबाया नहीं जा सकता. सरना स्थल, पेसा कानून और कॉलम कोड की माँग: ये तीनों हमारे अस्तित्व से जुड़े हैं. इन्हें नज़रअंदाज़ करना संविधान और लोकतंत्र दोनों का अपमान है.