रांची(RANCHI): झारखंड में लंबे समय के बाद बाघ को लोगों ने अपनी आँखों से देखा. बाघ की दहाड़ पहली बार लोगों ने सुनी. भले ही सुरक्षा कारणों से लोगों को बाघ के नजदीक नहीं जाने दिया गया. लेकिन जब उसकी दर्जन और दहाड़ सुनाई दे रही थी तब लोग कांपने लगे. इस बीच पलामू टाइगर रिसर्व की टीम सिल्ली से बाघ को लेकर पलामू पहुंची और खुले जंगल में छोड़ दिया. जिसके बाद बाघ पलामू की जमीन पर उतरते ही दहाड़ने लगा. मानों वह अपने घर लौट आया हो. तेज रफ्तार से पिंजड़े से निकलते ही दहाड़ते हुए पलामू के जंगल में घुस गया.

पलामू टाइगर रिसर्व के जंगल छोटा गया बाघ

दरअसल गुरुवार को सिल्ली के गाँव में पुरेन्द्र महतो के घर में बाघ घुस गया. इसके बाद रेस्क्यू अभियान 14 घंटे तक चला और बाघ को सुरक्षित घर से निकाल कर पलामू टाइगर की टीम साथ ले गई.देर रात पलामू टाइगर क्षेत्र बाघ पहुँच गया. इसके बाद डॉक्टरों से उसके स्वास्थ्य को देखा. जब डॉक्टर और टीम पुरी तरह से समझ गए की बाघ पुरी तरह से सुरक्षित है. किसी तरह से कोई दिक्कत नहीं है. इसके बाद पलामू टाइगर के वन क्षेत्र में उसे छोड़ दिया गया. सुरक्षा कारणों से बाघ को किस क्षेत्र में जंगल के छोड़ा गया है इसकी जानकारी नही सार्वजनिक नहीं की गई है.

कैसे पहुंचा सिल्ली

अब यह भी जान लीजिए की आखिर बाघ कैसे सिल्ली पहुंचा है, और अब तक यह कहाँ-कहाँ गया. पलामू टाइगर रिसर्व की ओर से बताया गया है कि यह बाघ 2023 से पलामू में है. इस दौरान हजारीबाग,चतरा,गुमला होते बंगाल की सीमा पुरुलिया तक पहुँच गया था. इस  दौरान जब वह लौट रहा था तो खूंटी के जंगल में पहुंचा. इसके बाद कुछ दिन खूंटी में ही रहा. फिर पलामू के लिए निकला लेकिन इस रास्ते में आबादी होने के वजह से बाघ सिल्ली के जंगल में पहुँच गया. इसके बाद वह घर में घुस गया.

800 किलो  मीटर का कोरिडीर

बाघ एक कॉरीडोर बना चुका है. मध्य प्रदेश से पलामू के रास्ते बंगाल के पुरुलिया तक एक्टिव है. यह लंबे समय के बाद हुआ है जब बाघ करीब 800 किलो मीटर का सफर तय कर रहा है. यह बाघ के लिए खुशी की बात है.

किला बाघ है नाम

इस पलामू टाइगर का नाम किला बाघ है .इसके पीछे की कहानी भी PTR की ओर से बताई गई है. पलामू टाइगर रिसर्व के क्षेत्र में किला है और पहली बार इस बाघ को किला के पास देखा गया था. उसके बाद से ही किला बाघ नाम रखा गया है. यह बाघ नर प्रजाति का है.