टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : झारखंड का संथाल परगना बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा है. आरोप लगता रहा है कि मुखिया बांग्लादेशियों को दस्तावेज मुहैया कराते हैं, इस बात पर अब मुहर भी लग गई. जब महाराष्ट्र में 13 बांग्लादेशी मजदूरों को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो उनके पास से साहिबगंज के पता वाला आधार कार्ड मिला है. इसके बाद पुलिस ने साहिबगंज की उस मुखिया को संपर्क किया तो मुखिया ने सभी बांग्लादेशियों को साहिबगंज का बता दिया.

इस खेल में मुखिया सवालों के घेरे में हैं. नफीसा ने आरोपों को सच साबित कर दिया है. अब वो सवालों के घेरे में आ गई हैं. अब यह बात सामने आ गई है कि आखिर कैसे झारखंड में बांग्लादेशी युवकों को संरक्षण दिया जाता है और कैसे बसाया जाता है. जबकि पकड़ाए युवकों का आधार कार्ड फर्जी तरीके से बनाया गया है. ऐसी मुखिया पर भी कठोर कार्रवाई होनी चाहिए. जिससे झारखंड बच सके. संथाल परगाना के इलाके में घुसपैठ का मुद्दा खूब गरमाया रहता है. बेटियों को शिकार बनाया जाता है और नफीसा जैसी मुखिया उन बांग्लादेशियों को सिर्फ बचाती ही नहीं बल्कि बसाती भी है. 

वहीं इस पर महाराष्ट्र के पुलिस कमिश्नर ने जो लिस्ट जारी की है उसमें सभी का आधार नंबर और पता व मोबाइल नंबर भी दिया है. जिसमें बताया गया है कि यह सभी बांग्लादेश के रहने वाले हैं, लेकिन आधार कार्ड झारखंड का है. अब इस मामले की जांच होनी चाहिए कि आखिर यह किस आधार पर इस तरह से बयान दे रही हैं.

रिपोर्ट-समीर