रांची (RANCHI): मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का संकट टलने का नाम नहीं ले रहा है. आज UPA की बैठक भी हुई. जिसमें विधायकों की एक जुटता प्रदर्शित की गई. जमीन लीज मामले में निर्वाचन आयोग में सुनवाई पूरी हो चुकी है. आशंका है कि हेमंत के अलावा उनके भाई बसंत सोरेन की विधायकी जा सकती है. सरकार गठन के बाद से ही तरह-तरह के आरोप लगते रहे हैं. कई बार हेमंत के विधायकों की विश्वसनीयता घेरे में रही. हालांकि गठबंधन के दलों ने हर बार इसके लिए भाजपा को दोषी माना. कहा कि भाजपा सरकार गिराना चाहती है. विधायकों को खरीदना चाहती है. ऐसे ही आरोप तब लगे जब कांग्रेस के तीन विधायक पश्चिम बंगाल में लाखों रुपये नक़द के साथ पकड़े गए. कहा गया कि तीनों गोवाहटी गए थे. भाजपा के संपर्क में थे. इसमें खुद को हेमंत सोरेन का हनुमान कहने वाले जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी, खिजरी विधायक राजेश कच्छप और कोलिबिरा विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी शामिल हैं. तीनों इरफान की कार में सवार थे। जिसमें से क़रीब 49 लाख बरामद हुए थे. तीनों के साथ दो इनके सहयोगी को बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

कोलकाता हाइकोर्ट ने इन्हें 17 अगस्त को ज़मानत दी है. शर्त है कि वे कोलकाता से बाहर नहीं जाएंगे. कांग्रेस ने तीनों विधायकों को निलंबित कर दिया है. इधर, ज़मानत के बाद पहली बार वे मीडिया से मुखातिब हुए. जिसमें इरफान अंसारी बिफर पड़े. इस घटना के लिए इस हनुमान ने अपने राम हेमंत को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है. कहा कि अपने सियासी फायदे के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ही तीनों विधायकों को जानबूझकर फंसाया है.

इरफान फिर बोले कि बरामद पैसा उनका ही था. उनका न सरकार गिराने की कोई मंशा थी, न है. न पैसा ही किसी ने दिया था. तीन विधायक से सरकार नहीं गिर सकती है. हमारी रगों में कांग्रेस का खून है, हम कभी भाजपा में शामिल नहीं हो सकते. बता दें कि कैश कांड में गिरफ्तार अन्य लोगों को की जमानत कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं होने की वजह से नहीं हो सकी है.