चाईबासा(CHAIBASA): पश्चिमी सिंहभूम जिला में कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों में बाजार मूल्य से अधिक दर पर खाद्यान्न की आपूर्ति करने और इससे संबंधित टेंडर की जांच का आदेश डीसी ने दिया था. डीसी अनन्य मित्तल ने यह आदेश करीब 2 सप्ताह पहले जारी कर दिया था. इतना ही नहीं डीसी ने अपर उपायुक्त संतोष कुमार सिन्हा के नेतृत्व में तीन सदस्य कमेटी का गठन किया था और सात दिन के अंदर जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था. लेकिन आज 11 दिन बीत जाने के बाद भी न जांच रिपोर्ट सौंपी गयी और न ही आपूर्तिकर्ताओं के विरुध्द कोई कार्रवाई हुई है.
अब ऐसे में चर्चा का विषय बना हुआ है कि कहीं मामला रफा-दफा न हो जाए जबकि कस्तुरबा विद्यालयों में जिला स्तर पर हुए टेंडर पूर्व से ही विवादस्पद है. अब सवाल यह है कि कैसे जिले के 20 विद्यालयों में सामान आपूर्ति के लिए तीन आपूर्तिकर्ता को टेंडर दिया गया और विभाग द्वारा नमन इंटर प्राइजेज का टेंडर विपत्र को सभी मानक फुलफील करने के बाद विभाग ने स्वीकार कर लिया. बावजूद इसके नमन इंटर प्राइजेज का आवेदन रद्द कर दिया गया, यह जांच का विषय है. दूसरी ओर आवंटित सामान आपूर्तिकर्ता से अग्रिम राशि 32-32 लाख रूपया लेनी थी जो न लेकर 12-12 लाख रूपया ली गई.
डीसी ने 3 सदस्यीय टीम का किया है गठन
उपायुक्त अनन्य मित्तल ने तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है, इस कमेटी में पश्चिमी सिंहभूम जिला के अपर उपायुक्त संतोष कुमार सिन्हा, जिला कृषि पदाधिकारी कालीपदो महतो और जिला मत्स्य पदाधिकारी जयंत कुमार को रखा गया है. इस त्रिस्तरीय जांच समिति को एक सप्ताह के अंतर पूरे प्रकरण की गहनता के साथ जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया था. उपायुक्त कार्यालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अखबारों में “छपी खबर कस्तूरबा में बायलर मुर्गा 300, देशी 700 व मछली 720 रुपये प्रति किलो की हो रही आपुर्ति” में उल्लेखित है कि कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों में खाद्यान्न आपूर्ति बाजार दर से अधिक दर पर आपूर्ति की जा रही है. इसकी जांच किया जाना अति आवश्यक है, अत: उक्त के आलोक में पश्चिमी सिंहभूम जिला के कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों में आपूर्तिकर्ता द्वारा बाजार से अधिक मुल्य पर खाद्यान्न आपूर्ति किए जाने से संबंधित मामले की जांच कर जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने के लिए त्रिस्तरीय जांच समिति का गठन किया जाता है. यह समिति तथ्यों की जांच कर संयुक्त जांच प्रतिवेदन मंतव्य सहित एक सप्ताह के भीतर उपायुक्त कार्यालय को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करे.

फर्जी कागजात से आपूर्ति का ठेका !
कस्तूरबा विद्यालय में खाद्यान्न, स्टेशनरी और पोशाक सहित अन्य सुविधा सामग्री आपूर्तिकर्ताओं पर लूट मची है और कस्तूरबा विद्यालय आपूर्तिकर्ताओं का चारागाह बनकर रह गया है. शिक्षा विभाग के अधिकारियों और आपूर्तिकर्ताओं के मिलीभगत सांठगांठ से भारी घोटाला गोलमाल और सरकारी राशि की लूट हो रही है. विगत 10 से 12 वर्षों से एक ही आपूर्तिकर्ता उसी स्कूलों में आपूर्ति का कार्य करता है. पूरी निविदा प्रक्रिया ही संदिग्ध बताई जा रही है. सप्लायर आपूर्तिकर्ताओं को खाद्यान्न सहित अन्य आपूर्ति का ठेका देने के लिए नियम कानून को ताक पर रख दिया जाता है. आपूर्तिकर्ताओं द्वारा फर्जी कागजात से आपूर्ति का ठेका लिया गया है, यह भी गंभीर जांच का विषय है.
कस्तूरबा विद्यालय में शिक्षा विभाग और झारखंड शिक्षा परियोजना के कर्मी भी अपनी पत्नी, परिवार के नाम पर कंपनी बनाकर आपूर्ति का काम करते हैं और सरकारी कर्मी नियम विरुद्ध सप्लायर बन जाता है यह भी काफी संदिग्ध और जांच का विषय है. साथ ही ऐसे दोषी लोगों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है. कस्तूरबा विद्यालय और शिक्षा विभाग में “मांझी ही नाव डूबोए तो उसे कौन बचाए” वाली कहावत चरितार्थ हो रही है. राम नाम की लूट मची है लूट सको तो लूट लो यही हाल विभाग के अधिकारियों और सप्लायर के मिलीभगत सांठगांठ से हो रहा है और सरकार द्वारा गरीब आदिवासी छात्राओं बच्चियों को दी जाने वाली सुविधा संसाधनों सरकारी राशि की लूट हो रही है.
बाजार मूल्य से अधिक दर पर टेंडर गलत : उपायुक्त
वहीं, उपायुक्त अनन्य मित्तल ने माना कि यदि बाजार मुल्य से अधिक दर पर टेंडर हुआ है तो यह गलत है. हम लोग टेंडर में उल्लेखित शर्तों का अध्ययन करायेंगे. टेंडर का उद्देश्य हमेशा से यही रहा है कि किसी भी सामग्री की आपूर्ति बाजार मूल्य से कम दर पर उपलब्ध करायी जा सके. कस्तूरबा स्कूलों के मामले में हम लोग जांच करा रहे हैं, जांच रिपोर्ट आने के बाद ही सारी स्थिति स्पष्ट हो पायेगी.
संतोष वर्मा, चाईबासा

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Jitendra nath ojha
3 years agoकमेटी अगर समय पर रिपोर्ट नहीं दे पाए तो कमेटी बदल दी जाए और जांच की निष्पक्षता के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि सांसद विधायक को शामिल किया जाए