पाकुड़ (PAKUR):  अमड़ापाड़ा प्रखंड के सीमावर्ती गांव बासमती में प्रस्तावित पुल निर्माण कार्य ने आस्था और विकास के बीच टकराव की स्थिति पैदा कर दी है. मुख्यमंत्री ग्राम सेतु योजना के तहत बांसलोई नदी पर बनने वाले उच्चस्तरीय पुल के विरोध में स्थानीय ग्रामीणों ने एकजुट होकर आंदोलन छेड़ दिया है.

ग्रामीणों का कहना है कि जिस स्थान पर पुल का निर्माण प्रस्तावित है, वह मेला डंगाल परिसर है—एक ऐसा स्थल, जहां सदियों से दुर्गा पूजा, सोहराय जैसे पारंपरिक मेले आयोजित होते रहे हैं. यहां स्थित दुर्गा माता की प्रतिमा और आयोजन स्थल को लेकर ग्रामीणों की गहरी धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है. बीते दिनों बड़ी संख्या में ग्रामीण मेला डंगाल स्थल पर एकत्र हुए और ग्रामीण कार्य विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. जिसमें दर्जनों लोगों ने पुल निर्माण को लेकर अपने विचार और आपत्तियां रखीं.  ग्रामीणों ने यह भी दावा किया कि यह भूमि गोचर भूमि के रूप में दर्ज है, जहां किसी भी प्रकार का स्थायी निर्माण विधिक रूप से वर्जित है.

क्या बोले ग्रामीण

ग्राम सभा में बोलते हुए एक वरिष्ठ ग्रामीण ने कहा:“यह स्थल केवल मिट्टी का टुकड़ा नहीं है, यह हमारी संस्कृति, परंपरा और सामूहिक श्रद्धा का केंद्र है. यहां निर्माण कार्य से हमारी आस्था आहत होगी. हम विकास के विरोधी नहीं हैं, पर वह आस्था को रौंदकर नहीं होना चाहिए.”

प्रशासन से समाधान की अपील

ग्रामीणों ने प्रशासन से निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाने और किसी वैकल्पिक स्थल की पहचान करने की मांग की है, ताकि स्थानीय भावनाओं का सम्मान करते हुए विकास कार्य को आगे बढ़ाया जा सके.

रिपोर्ट: नंद किशोर मंडल/पाकुड़