रांची(RANCHI) - आखिरकार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह तय कर लिया कि अब और ज्यादा ईडी को इंतजार नहीं कराया जाना चाहिए. इसलिए उन्होंने 20 जनवरी को अपने आवास में दोपहर के वक्त बुलाया है. मुख्यमंत्री का यह निर्णय कई मायने में महत्वपूर्ण है. आखिर मुख्यमंत्री ने ऐसा निर्णय क्यों लिया,यह अब चर्चा का विषय बना हुआ है. लोग यह भी कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री ने इतना विलंब से क्यों निर्णय लिया. इसके भी कई कारण हो सकते हैं.

क्या कहते हैं कानून के जानकार

कानून के जानकार बताते हैं कि मुख्यमंत्री ने यह अच्छा फैसला लिया है.  ईडी के धैर्य की परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए. ईडी एक संवैधानिक संस्था है और इसके काम करने का अपना तौर तरीका है. कानून के आगे सभी बराबर हैं.यह ठीक है कि ईडी को आठ बार समन जारी करना पड़ा. ऐसा सामान्य रूप से नहीं होता है,क्योंकि मुख्यमंत्री एक संवैधानिक पद पर बैठा हुआ व्यक्ति है. इसलिए केंद्रीय एजेंसी ने भी थोड़ा धैर्य से काम लिया है. लेकिन अब सब कुछ ठीक-ठाक हो जाएगा. जमीन घोटाला से संबंधित मुख्यमंत्री से जो पूछताछ होनी है,उसके लिए 20 जनवरी को बुला लिया गया है. जाहिर सी बात है कि मुख्यमंत्री सभी तरफ से यह समझ लिए होंगे कि ईडी के समक्ष उपस्थित होना जरूरी है और यह समय की मांग है. सामान्य रूप से प्रत्येक भारतीय नागरिक को कानून का पालन करना होता है कानून के समक्ष कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता. इसलिए अगर कोई सरकारी संस्था किसी प्रकार की जानकारी लेना चाहती है या फिर सहयोग मांगती है तो प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य बनता है कि वह ऐसी सरकारी संस्थाओं को मदद करे. इसलिए मुख्यमंत्री ने बहुत सही काम किया है.

इधर ईडी भी आगे बढ़ने की तैयारी में थी

मुख्यमंत्री के मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने कुछ आवश्यकता से ज्यादा धैर्य का परिचय दिया है लेकिन सभी संस्थाओं को विधि सम्मत तरीके से काम करना होता है.ईडी एक संवैधानिक संस्था है जिसका गठन पार्लियामेंट के एक्ट के माध्यम से हुआ है और इसे बहुत अधिक पावर मिला हुआ है. ऐसे में किसी छोटे या बड़े व्यक्ति को इस केंद्रीय एजेंसी के कार्यों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए. पूछताछ के लिए ईडी किसी भी सीमा तक जा सकती है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को उनकी लीगल टीम ने यह सही सुझाव दिया है कि वह ईडी के सवालों का सामना कर लें और उसकी जो जिज्ञासा है, उसको शांत कर दें.जमीन घोटाला मामले में उनसे पूछताछ की जानी है. रांची के  बड़गाईं अंचल अंतर्गत हुए जमीन घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी उनसे कुछ जानकारी चाह रही है. इसलिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जो निर्णय लिया है वह उचित है.कानून के जानकार भी कहते हैं कि उन्होंने सही कदम उठाया है.