रांची(RANCHI): झारखंड में स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में हाल में उठाए गए कुछ बड़े कदम की बात करेंगे तो दो बातों का जिक्र जरूर आएगा. पहला राज्य के सभी सरकारी स्कूलों के भवन का रंग बदलना और दूसरा बच्चों के स्कूल ड्रेस बदलना. स्कूल के बिल्डिंग और ड्रेस के रंग बदलने के पीछे की मंशा सरकार भी जो भी रही हो,मगर, इससे राज्य की शिक्षा व्यवस्था में कितना सुधार आया या आएगा इसका कोई लेखा-जोखा नहीं है. लेकिन सरकारी आंकड़े इन स्कूलों का एक दूसरा लेखा-जोखा जरूर दे रहे हैं. ये हैं सरकारी स्कूलों में दिन-प्रतिदिन छात्रों का घटता नामांकन. झारखंड के करीब 6100 स्कूलों में पिछले तीन से साल से नामांकन घट रहा है. हर साल विभिन्न क्लास में नामांकन कम हो रहा है. वहीं, 4500 स्कूल ऐसे हैं जहां 50 से भी कम छात्र-छात्रा नामांकित हैं. इन आंकड़ों का खुलासा सभी क्षेत्रीय शिक्षा संयुक्त निदेशक, जिला शिक्षा पदाधिकारी और जिला शिक्षा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में जिलों से आयी रिपोर्ट में हुआ है.

नामांकन घटने के कारण

अब स्कूल में बच्चों के नामांकन घटने के पीछे दो कारण हो सकते हैं. एक तो लोग बहुत अमीर हो गए हैं, सभी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल ना भेजकर प्राइवेट स्कूल भेज रहे हैं या फिर सरकारी स्कूलों में सरकार के कई योजनाओं के बावजूद स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विभाग बच्चों को शिक्षा देने में फेल रहा है. क्योंकि अगर स्कूल में नि:शुल्क अच्छी पढ़ाई होगी, तो शायद ही कोई व्यक्ति अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल भेजना चाहेगा. प्राइवेट स्कूल में बच्चों को भेजना भी तार्किक नहीं लगता. क्योंकि झारखंड देश के गरीब राज्यों में शुमार है. मतलब कि इस राज्य की ज्यादातर आबादी गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर करती है. तो ये मान लेना कि सभी एकाएक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल की जगह प्राइवेट स्कूल भेजने लगे, यह कहीं से भी तर्कसंगत नहीं लगता है. इसका एक ही अर्थ है कि इतने बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे.

इसका जिम्मेवार कौन?

अब सवाल है कि स्कूलों में बच्चों की दिन प्रतिदिन घटती नामांकन दर का जिम्मेवार कौन है. राज्य सरकार बेहतर शिक्षा व्यवस्था देने का दावा करती है. और इसके लिए वह योजनाएं बनाती है.योजनाओं को जमीनी स्तर पर उतारने और लागू कराने का जिम्मा अधिकारियों का होता है. और अधिकारियों से भी बड़ी जिम्मेदारी स्कूल के अध्यापक और कर्मियों की होती है. ऐसे में सरकारी स्कूल की खराब हालत के पीछे किसी एक की तो जिम्मेदारी नहीं बनती. अभी हाल ही में गोड्डा के एक सरकारी स्कूल की हालत दिखते हुए एक बच्चे की वीडियो वायरल हुई थी. वो सरकारी स्कूल गोड्डा जिले के महगामा का था.बच्चे का नाम सरफराज था और उसने अपने वीडियो में सरकारी स्कूल की लचर स्थिति की पोल खोल दी. खुद शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने इसका संज्ञान भी लिया था. मगर, सवाल है कि क्या हर स्कूल का वीडियो दिखाने पर ही कार्रवाई होगी. सभी स्कूल की हालत कब सुधरेगी? चाहे सरकार हो या अधिकारी सभी को इन आंकड़ों पर गौर करना होगा और जल्द से जल्द सुधार करने की दिशा में कार्रवाई करनी होगी. क्योंकि दिन प्रतिदिन स्कूलों से छात्रों की घटती संख्या झारखंड के भविष्य के लिए बड़ी चिंता है.