टीएनपी डेस्क(TNP DESK): दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बलों को सशस्त्र बलों के समान माना है. इस फैसले के बाद अर्द्ध सैनिक बलों के लिए पुरानी पेंशन का रास्ता साफ हो गया है. केंद्रीय अर्द्ध सैनिक बलों के हजारों कर्मचारी पुरानी पेंशन के हकदार हो गए हैं.
केन्द्र सरकार अर्द्ध सैनिक बलों को सशस्त्र बल मानने को तैयार नहीं थी
यहां बता दें कि केंद्र सरकार, कई मामलों में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों को सशस्त्र बल मानने को तैयार नहीं थी. इसके कारण ये पुरानी पेंशन के दायरे में नहीं आ पा रहे थें. सरकार ने 1 जनवरी 2004 के बाद भर्ती हुए सभी कर्मियों को पुरानी पेंशन के दायरे से बाहर कर इन्हे एनपीएस में शामिल कर दिया था. सरकार का मानना था कि सेना, नेवी और वायु सेना ही सशस्त्र बल का हिस्सा है. इसके सिवा सभी अर्द्ध सैनिक बल है.
जस्टिस सुरेश कुमार कैत की खंडपीठ ने सुनाया फैसला
सरकार के इस रुख के खिलाफ कर्मियों की ओर से करीबन 98 याचिका दायर की गयी थी. इन्ही याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया है. अपने फैसले में कोर्ट ने यह माना है कि सीएपीएफ भी भारत के सशस्त्र बल का हिस्सा हैं. इस प्रकार वे भी पुरानी पेंशन का हकदार हैं. सीएपीएफ में शामिल होने की तिथि चाहे जो भी वे पुरानी पेंशन के हकदार होंगे. याचिकाकर्ताओं की वकील अंकिता पटनायक ने कहा है कि केन्द्र सरकार ने 22 दिसंबर 2003 को नई पेंशन को लागू किया था और इससे केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बलों को बाहर कर उन्हे एनपीएस के दायरे में रखा गया था. आज का फैसला उनके लिए काफी राहत देने वाला है.
इन कर्मियों को मिलेगा लाभ
यहां बता दें कि अर्द्ध सैनिक बलों में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), केन्द्रीय आद्धोगिक सुरक्षा बल, असम राइफल्स, आईटीबीपी, बीएसएफ, एसएसबी, आईआरबी आदि शामिल हैं.
रिपोर्ट: देवेन्द्र कुमार
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