टीएनपी डेस्क(TNP DESK): सुप्रीम कोर्ट में पहली बार ग्रीन बेंच बनने वाला है. ग्रीन बेंच का मतलब पर्यावरण सुरक्षा से जुड़े बेंच से है. दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच चल रहे विवाद के मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा कि उनकी बेंच ग्रीन बेंच होगी.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने केस से जुड़े वकीलों को अगली सुनवाई के दौरान किसी भी तरह के कागजात या फिजिकल डॉक्यूमेंट नहीं लाने का निर्देश दिया है. सभी कागजात ऑनलाइन सॉफ्ट कॉपी में उपलब्ध किए जाएंगे. इसके लिए वकीलों को ट्रेनिंग भी दिया जाएगा. यह ट्रेनिंग सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्री और आईटी सेल के अधिकारी देंगे. शनिवार को ये अधिकारी वकीलों को दलील देने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग दे सकते हैं.

दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच चल रहा विवाद

बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं के नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है. इसे लेकर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. इस विवाद की सुनवाई पांच जजों की संवैधानिक पीठ कर रही है. इसमें जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं. इसी दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इसे पूरी तरह से ग्रीन बेंच रखेंगे ताकि कोई कागजात न हो, कृपया आप कागजात न लाएं.

“एक न एक दिन आपको भी शुरू करना ही होगा”

जस्टिस चंद्रचूड़ के आदेश के बाद एक वकील ने इसमें कठिनाई व्यक्त की. उनका कहना था कि टेक्नोलॉजी का उपयोग करने में उन्हें कठिनाई होगी. इस पर जस्टिस एमआर शाह ने उनसे कहा कि हमें भी ट्रेनिंग मिली है, एक न एक दिन आपको भी शुरू करना ही होगा. वहीं जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि इसके लिए आपको ट्रेनिंग दी जाएगी. सेक्रेटरी जनरल और आईटी सेल के हेड टेक्नोलॉजी के उस्ताद हैं. वे शनिवार को इसका इस्तेमाल सिखाने के लिए सीनियर्स को ट्रेनिंग देने के लिए तैयार हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने वकीलों से यह भी कहा कि यदि आप कोर्ट में बहस कर सकते हैं, तो आप इसे भी आसानी से अपना सकते हैं. बता दें कि दिल्ली-एलजी मामले के अलावा यह संविधान पीठ शिवसेना विवाद, नागरिकता कानून की धारा 6ए की वैधता और अनुच्छेद 334 के तहत लोकसभा और विधानसभा में एस/एटी को दिए गए आरक्षण से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही है.