टीएनपी डेस्क(TNP DESK): कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो...! दुष्यंत कुमार की इस पंक्ति को चरितार्थ कर दिखाया है पश्चिम बंगाल बर्दवान जिले के रहने वाले 40 वर्षीय  रेजाउल शेख ने. रेजाउल पांचवी तक पढ़ा है, बचपन में ही सर से पिता का साया उठ जाने के बाद रेजाउल के कंधे पर उसकी मां और बहन की देखरेख की जिम्मेदारी आ गई. उसने पढ़ाई छोड़ मेहनत मजदूरी कर अपने परिवार को पालने का दृढ संकल्प ले लिया. रेजाउल की हिम्मत को देख उसके रिश्तेदारों ने भी उसका साथ दिया. रेजाउल मेहनत मजदूरी करता साथ में जब समय बचता तो वह कुछ पढ़ाई-लिखाई भी कर लेता.  ऐसे में उसके पिता की कही कुछ बातें उसके कानों में हमेशा गूंजती. उसके पिता रेजाउल को कहा करते थे कि जीवन में कुछ ऐसा करो कि उस कार्य को देखने सारे देश से लोग आएं.

ऐसे में रेजाउल किसी काम से जब नवद्वीप गया था, तो उसने वहां राज्यपाल को हेलीकाप्टर से उतरते देखा तब से उसकी आंखों में वो हेलीकॉप्टर जंच गई और उसने यह ठान लिया कि अब वह वैसा ही एक हेलीकॉप्टर बनाएगा. दुनिया को दिखा देगा कि वो भी कुछ कर सकता है और उसके अंदर भी कुछ टैलेंट है. जिसके बाद उसने हेलीकॉप्टर बनाने की तैयारी शुरू की. रेजाउल का कार्य चरम पर था कि उसके इलाके मे एक मंत्री का दौरा हुआ और वे मंत्री रेजाउल के कार्य देखकर काफ़ी प्रभावित हुए. उन्होंने रेजाउल को यह आश्वासन दिया कि वह उसके इस कार्य में हर तरह का सहयोग करेंगे. मंत्री के आश्वासन ने रेजाउल के अंदर और भी मानो ऊर्जा भर दिया. 

पिता की बातों से मिली प्रेरणा 

जिस ऊर्जा व अपने पिता के द्वारा दी गई प्रेरणा के बल पर दिन रात एक कर अपने हाथों से अपनी मेहनत की बदौलत महज 6 महीने में अपने सपनों का उड़न खटोला हेलीकॉप्टर बनाकर रेजाउल ने तैयार कर दिया. रेजाउल ने इस उड़न खटोले को बनाने के लिये कोलकाता, पानागड़ और केरल से पार्ट्स मंगवाया है. साथ ही कर्नाटक से अपने उड़न खटोले के लिये इंजन मंगवाया है. जिसके लिये रेजाउल ने ऑर्डर भी दे दिया है. जो जल्द ही पहुंच भी जायेगा जिसके बाद रेजाउल अपने उड़न खटोले को अंतिम रूप देगा और फिर रेजाउल का उड़न खटोला हवाओं में सैर करने के लिये पूरी तरह से तैयार हो जायेगा. रेजाउल के इस कार्य को देखने के लिये पश्चिम बंगाल ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी लोग देखने के लिये आ रहे हैं. रेजाउल के इस कार्य को देख उसकी मेहनत की तारीफें करते नहीं  थक रहे हैं. 

दूर-दूर से हेलीकॉप्टर देखने आ रहे लोग 

रेजाउल कहता है कि इसे बनाने में 70 प्रतिशत काम हो गया है और 30 प्रतिशत काम बाकी है. अबतक 25 से 30 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं. अनुमान है और 25 से 30 लाख और खर्च हो सकते हैं. कोलकाता, पानागाड़ और कर्नाटक से इंजन मंगवाया गया है जिसका ऑर्डर भी हो गया है. केरल, असम गोहाटी से एसडीओ, बीडीओ और सीईओ हर तरह के लोग देखने आ रहे हैं. कोलकाता से भी कई लोग आ चुके हैं. एक मंत्री हैं जो मेरी मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा था कि जिस प्रकार की सहायता होगी वो करेंगे इसमें फंडिंग की कोई बात नहीं है.  बस इस कार्य को लेकर सब के चेहरे पर उत्साह है.