टीएनपी डेस्क(TNP DESK):  प्रसिद्ध वकील और पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने एक बार फिर से एटर्नी जनरल बनाए जाने के केंद्र के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. पहले यह संकेत मिला था कि वे 1 अक्टूबर से अटॉर्नी जनरल का पद संभालेंगे,लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि वे ऐसा नहीं करेंगे.

जून 2014 में भारत सरकार ने उन्हें एटर्नी जनरल नियुक्त किया था

मुकुल रोहतगी जाने-माने कानूनविद् है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और कई हाईकोर्ट में सरकार की ओर से पक्ष रखा है. जून 2014 में भारत सरकार ने उन्हें एटर्नी जनरल नियुक्त किया था. उनका कार्यकाल जून 2017 में समाप्त हुआ. उनकी जगह पर केके वेणुगोपाल को एटर्नी जनरल बनाया गया. केके वेणुगोपाल का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है. यहां यह बताना जरूरी है कि वेणुगोपाल का कार्यकाल वैसे तो 3 माह पूर्व जून में ही समाप्त हो गया था. लेकिन केंद्र सरकार ने उन्हें 3 माह का सेवा विस्तार दिया.

मुकुल रोहतगी  ने ठुकराया प्रस्ताव 

मुकुल रोहतगी के बारे में यह कहा जा रहा था कि वह दूसरी बार अटॉर्नी जनरल का कामकाज 1 अक्टूबर से संभालेंगे. लेकिन ताजा खबर के अनुसार उन्होंने केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. वैसे तो मुकुल रोहतगी ने इसके पीछे कोई खास वजह नहीं बताई है. पर यह माना जा रहा है कि कतिपय वैचारिक मतभेद की वजह से उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया है