टीएनपी डेस्क(TNP DESK): देश में आए दिन किसी ना किसी अस्पताल में डॉक्टरों से मारपीट का मामला सामने आता रहता है. डॉक्टर अपनी सुरक्षा को लेकर बेहद ही चिंतित हैं. डॉक्टरों की ये परेशानी अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई करने वाला है, जिसमें अधिकारियों को अस्पतालों और चिकित्सा केंद्रों पर पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश देने की मांग की गई है ताकि मरीजों के रिश्तेदारों और अन्य लोगों द्वारा डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले को रोका जा सके.
जस्टिस एस के कौल और अभय एस ओका की बेंच इस मामले को उठा सकती है. दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की असम राज्य शाखा के अध्यक्ष डॉ. सत्यजीत बोरा द्वारा दायर याचिका में केंद्र और राज्यों को इस तरह की हिंसा में पीड़ित या मृतक डॉक्टरों और नर्सों सहित स्वास्थ्यकर्मी के परिवार को मुआवजा देने के लिए एक संकट कोष बनाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है.
“भीड़ के हमलों में कई डॉक्टरों ने अपनी जान गंवाई”
अधिवक्ता स्नेहा कलिता के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि इस तरह के हमलों और मौखिक दुर्व्यवहार की संख्या में वृद्धि हुई है, और "सार्वजनिक रूप से भीड़ द्वारा लिन्चिंग की घटनाओं" की वजह से डॉक्टरों या स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हो गई है.
इस याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता चिकित्सा सेवा कर्मियों / पेशेवरों और स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने के लिए एक सुरक्षा प्रणाली के लिए दिशा-निर्देशों के रूप में उचित दिशा-निर्देश मांग रहे हैं. याचिका में ये भी दावा किया गया है कि वर्तमान में, कोई ठोस केंद्रीय कानून नहीं है जो निवारक, दंडात्मक और प्रतिपूरक उपायों के रूप में चिकित्सा सेवा कर्मियों और स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों के खिलाफ हिंसा के उपर्युक्त मुद्दों को संबोधित कर सके.
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