टीएनपी डेस्क(TNP DESK): देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून की लंबे समय से मांग हो रही है. इसे लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है. दरअसल, एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था. इसी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है और अधिक जनसंख्या की समस्या को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए नियम, विनियम और दिशानिर्देश तैयार करने में केंद्र की तैयारी और जारी निर्देश की मांग की. जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की पीठ ने सरकार से जवाब मांगा और मामले को इसी तरह की लंबित याचिकाओं के साथ टैग कर दिया.
अखिल भारतीय संत समिति ने दायर की याचिका
अखिल भारतीय संत समिति के महासचिव दांडी स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि हर साल जनसंख्या बढ़ रही है लेकिन प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं और बढ़ती आबादी को बनाए नहीं रख सकते हैं. जनहित याचिका में कहा गया है कि जब बेरोजगारी और गरीबी, खाद्य आपूर्ति की सीमा, स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं आदि में भारी वृद्धि हो रही है, तो राज्य दूसरा रास्ता नहीं देख सकता है.
जनहित याचिका में अधिक जनसंख्या की समस्या के कारण भारत के लाखों नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए नियम, विनियम और दिशानिर्देश तैयार करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है. इसमें कहा गया कि अधिक जनसंख्या सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है जो लाखों भारतीय नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करने वाली कई गंभीर समस्याओं को जन्म देती है.
स्वस्थ्य दिवस घोषित करने की मांग
याचिका में सरकार को हर महीने के पहले रविवार को 'स्वास्थ्य दिवस' के रूप में घोषित करने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई ताकि ईडब्ल्यूएस और बीपीएल परिवारों को पोलियो टीके के साथ अधिक जनसंख्या के बारे में जागरूकता फैलाया जा सके और गर्भनिरोधक गोलियां, कंडोम, टीके आदि का वितरण किया जा सके. याचिका में कहा गया है कि विकल्प में, भारत के विधि आयोग को तीन महीने के भीतर जनसंख्या नियंत्रण उपायों पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करने और प्रतिवादी (सरकार) को उचित विचार के लिए प्रस्तुत करने का निर्देश दे.
याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने महसूस किया है कि मानव गरिमा के साथ जीने का अधिकार, स्वच्छ हवा का अधिकार, पीने के पानी का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार, आश्रय का अधिकार, आजीविका का अधिकार और शिक्षा का अधिकार जैसे बुनियादी मौलिक अधिकार संविधान के तहत गारंटीकृत हैं. जब तक प्रतिवादी अधिक जनसंख्या की समस्या को कम करने के लिए संविधान (एनसीआरडब्ल्यूसी) के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग द्वारा किए गए प्रस्तावों पर उचित विचार नहीं करते, तब तक मायावी बनी रहेगी.
भारत में हर रोज 70 हजार से ज्यादा बच्चे लेते हैं जन्म
वर्तमान में भारत की जनसंख्या 1.39 बिलियन के करीब है जो विश्व की लगभग 17.8 प्रतिशत जनसंख्या है, लेकिन भारत के पास विश्व की केवल 2% कृषि योग्य भूमि और केवल 4% पेयजल है. याचिका में दावा किया गया है कि अमेरिका में हर दिन 10,000 बच्चे पैदा होते हैं जबकि भारत में हर दिन 70,000 बच्चे पैदा होते हैं.
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