टीएनपी डेस्क(TNP DESK): पश्चिम बंगाल मे होने वाली दुर्गोत्सव के महापर्व ने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना लोहा मनवा दिया है. यही कारण है कि UNESCO ने भी यह मान लिया कि भारत की दुर्गा पूजा दुनिया की अनोखी पूजा है. संयुक्त राष्ट्र संघ की सांस्कृतिक इकाई UNESCO ने बंगाल की दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि लिस्ट में शामिल कर लिया है. इस खबर के मिलते ही लोग काफी उत्साहित दिखाई दिए. बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने यूनेस्को से दुर्गा पूजा को विरासत का दर्जा देने के लिए आवेदन किया था. यूनेस्को ने इसकी मंजूरी दे दी है. इससे बंगाल की दुर्गा पूजा को अब विश्व स्तर पर मान्यता मिल गई है. जिसको लेकर अब बंगाल वासियों ने मां दुर्गा की पूजा अब विदेशों मे भी करने की योजना बनाते हुए अफ्रीका के घने जंगलों में मां दुर्गा की पूजा करने की ठानी है.
अफ्रीका के मसाई मारा जंगल में होगी मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित
इसके तहत पूर्वी अफ्रीका के कीनिया के मसाई मारा जंगल में देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जानी है और बकायदा उस घने जंगल में मां दुर्गा की पूजा भी होगी. इसके लिए कोलकाता में मूर्ति बना ली गयी है. आज यानी 11 सितंबर को यह प्रतिमा अफ्रीका के लिए रवाना हो रही है. यह सब कुछ एक टूर ऑपरेटर कंपनी की निदेशक राखी मित्रा सरकार की परिकल्पना के तहत हो रहा है. सरकार ने बताया कि उनकी टूर ऑपरेटर कंपनी पिछले कई वर्षों से अफ्रीकन सफारी आयोजित करती आ रही है. मसाई मारा में करीब 850-900 शेर हैं. मां दुर्गा का वाहन भी शेर है. पूजा के पूर्व उन्हें ख्याल आया कि क्यों न देवी दुर्गा को उनके वाहन यानी सिंह के देश में भी ले जाया जाये. इसलिए उन्होंने कुम्हारटोली के मूर्तिकार (sculptor) मिंटू पाल से एक छोटी मूर्ति बनवायी. इस मूर्ति के साथ 11 सितंबर को यह प्रतिमा अफ्रीका के लिए रवाना होगी.
स्थानीय लोगों को सिखाई जाएगी पूजा पद्धति
मसाई मारा में स्थानीय मसाई लोगों के साथ उनकी बात भी हो गयी है. उन्हें पूजा की पद्धति सिखायी जायेगी. विधिवत पूजा की पद्धति की बजाय, पूजन की भावना उन्हें बतायी जायेगी. कुछ प्रसाद वे भारत से ले जायेंगी और कुछ स्थानीय फल के साथ प्रसाद बनाया जायेगा. देवी दुर्गा का पूजन अफ्रीका में उस स्थान पर होगा जहां अभी तक बिजली नहीं पहुंची है. गांव में अंधेरा रहता है. लेकिन वहां भी पूजा हो सकेगी.
वहां जाने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग इस पूजा को देख सकेंगे. मूर्तिकार मिंटू पाल ने बताया कि 24 इंच लंबी और 20 इंच चौड़ी यह देवी दुर्गा सहित उनके संपूर्ण परिवार की प्रतिमा है. अफ्रीका में मूर्ति की नियमित रूप से पूजा होगी. मूर्ति का खर्च महज आठ हजार रुपये था लेकिन घने जंगल में देवी दुर्गा की पूजा की कल्पना ही मन में रोमांच और भक्ति भावना भर देता है.
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