टीएनपी डेस्क(TNP DESK): नरेंद्र मोदी की बीजेपी सरकार के खिलाफ पूरा विपक्ष एकजुट होने की तैयारी कर रहा है. एक ओर अखिलेश यादव, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, हेमंत सोरेन, चंद्रशेखर राव आदि नेता साथ आ रहे हैं. वहीं कांग्रेस ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के जरिए पार्टी में फिर से जान फूंकने की कोशिश कर रही है. आम आदमी पार्टी भी बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों के साथ आ रही है. हालांकि, बीजेपी को इससे अभी कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा है. लेकिन, हम आज एक नए फॉर्मूले की बात कर रहे हैं, जिससे बीजेपी को परेशानी उठानी पड़ सकती है. और ये बात करेंगे कि केंद्र में सरकार बनाने के लिए यह फार्मूला हर पार्टी के लिए इतना महत्वपूर्व क्यों है.
हम बात कर रहे हैं यूपी+बिहार फॉर्मूले की. दरअसल, समाजवादी पार्टी ने एक नया पोस्टर जारी किया है. इस पोस्टर में अखिलेश यादव और नीतीश कुमार साथ दिख रहे हैं और साथ ही में एक नारा लिखा हुआ है. ये नारा है - “यूपी+बिहार = गयी मोदी सरकार.”
आइए समझते हैं कि क्या है यह फार्मूला
देश में 543 सीटों पर लोकसभा चुनाव होते हैं. इनमें बहुमत के लिए 272 सीट पर जीत चाहिए होती है. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अकेले इनमें 303 सीटों पर जीत दर्ज की थी. यह कुल सीटों का करीब 56% है. वहीं 2014 के चुनाव की बात करें तो बीजेपी को 282 सीट मिली थी. देश में सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीट यूपी में हैं, वहीं बिहार में 40 लोकसभा सीट है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी को 2019 चुनाव में 62 सीटें मिली थी. जबकि सपा को 5 और बसपा को 10 सीट मिली थी. अब इसके बाद बिहार की बात करते हैं. बिहार के 40 सीटों में 2019 चुनाव में बीजेपी को 17, जदयू को 16 और लोजपा को 6 सीटें मिली थी.
यूपी और बिहार मिलाकर कुल 120 सीट होती हैं. जो कुल का करीब 22 प्रतिशत से ज्यादा है. ऐसे में सभी पार्टियों की नजर इन दो राज्यों पर टिक जाती है. बीजेपी का सबसे बड़ा जनाधार हिन्दी भाषी राज्यों में ही है. और ये दो राज्य इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण राज्य हो जाते हैं. ऐसे में अखिलेश यादव और नीतीश कुमार इन दो राज्यों में बीजेपी को रोक लेते हैं तो बीजेपी के लिए सरकार बनाना जरूर मुश्किल हो जाएगा. मगर, ऐसा हो सकता है क्या? ये भी जानना बहुत जरूरी है.
बीजेपी जहां इन दो राज्यों में सबसे बड़ी पार्टी है, वहीं अखिलेश यादव की सपा पिछले चुनाव में बस 5 सीट ही जीत पाई थी. ऐसे में बीजेपी को रोकने के लिए उन्हें एड़ी-चोटी का जोर लगाना भी कम ही पड़ेगा. पिछले चुनाव की ही बात कर लें तो सपा और बसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें बसपा को 10 और सपा को 5 सीटे मिली थी. मगर, बाद में ये गठबंधन टूट गया. अब बसपा का झुकाव बीजेपी की ओर दिख रहा है. और कई मौके पर मायावती बीजेपी का समर्थन करती नजर आई हैं. ऐसे में अखिलेश के लिए तो बीजेपी को हराना टेढ़ी खीर होने वाला है.
अब बिहार की बात करते हैं. बिहार में बीजेपी और जदयू का गठबंधन टूट चुका है और अब जदयू महागठबंधन का हिस्सा है. पिछले चुनाव में बीजेपी और जदयू ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसमें बीजेपी को 17 और जदयू को 16 सीट मिली थी. वहीं महागठबंधन में शामिल राजद और कांग्रेस का तो खाता भी नहीं खुल सका था. ऐसे में बिहार में महागठबंधन को ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीतना बहुत ही मुश्किल होने वाला है.
यूपी और बिहार पर ही निर्भर क्यों
यूपी और बिहार ही बीजेपी के लिए भी क्यों इतना महत्वपूर्व है, इसके पीछे भी एक बड़ा कारण है. यूपी के बाद सबसे ज्यादा 48 सीट महाराष्ट्र में है. और इसके बाद 42 सीट बंगाल में है. महराष्ट्र में शिवसेना के अलग होने के बाद बीजेपी को नुकसान हो सकता है. लेकिन इस नुकसान का शिंदे गुट भरपाई कर सकता है. लेकिन फिर भी यहां कुछ कहा नहीं जा सकता. यही हाल बंगाल का भी है. बीजेपी का यहां जनाधार कमजोर रहा है लेकिन पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने इस राज्य में भी सुधार किया है. लेकिन हिन्दी भाषी राज्य नहीं होने से बीजेपी को यहां उतना फायदा होता नहीं दिखा रहा. ये सीट बीजेपी के लिए एडिश्नल सीट होंगे. इस पर बीजेपी निर्भर नहीं हो सकती. इसलिए बीजेपी के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यूपी और बिहार हो जाता है. क्योंकि इन दो राज्यों में बीजेपी अपना पिछला प्रदर्शन दोहराती है तो बाकी राज्यों के सीट के लिए उसे ज्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ेगा. भारतीय राजनीति में एक कहावत भी है कि जिसका यूपी उसी की केंद्र में सरकार. इसलिए विपक्ष ने ये “यूपी+बिहार = गयी मोदी सरकार” का नारा निकाला है और यूपी बिहार में बीजेपी के खिलाफ अपने वोट मजबूत करने की कोशिश कर रही है. हालांकि विपक्ष इसमें कितना मजबूत हो पाता है, ये अभी कहा नहीं जा सकता.
Recent Comments