रांची(RANCHI) - हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार ऋतु और मास के आधार पर तिथि का महत्व माना जाता है. इसी के तहत कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी तिथि को धनतेरस मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी तिथि को समुद्र मंथन के बाद धन्वंतरि का आविर्भाव हुआ था. एक हाथ में जड़ी-बूटी और एक हाथ मे अर्क या अमृत लिए भगवान धन्वंतरि का आविर्भाव हुआ था. धन्वंतरि बैद्यराज  थे और मान्यता है कि आयुर्वेद की भी प्राप्ति भगवान धन्वंतरि के साथ हुई थी. हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथों की विशेषता है कि यहां सांसारिक सुख सुविधा और धन दौलत की जगह स्वास्थ्य को सर्वोत्तम धन की मान्यता दी गई है. स्वस्थ्य की महत्ता के करण ही बैद्यराज धन्वंतरि के अवतरण को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है. हालांकि समय के साथ आज इसका स्वरूप भी बदलने लगा है और अब धनतेरस को लोग सोना-चांदी या अन्य कीमती चीजों की खरीददारी के लिए उचित अवसर के रूप में मनाने लगे हैं।लेकिन मूल मान्यता स्वास्थ्य को धन के रूप में स्वीकार करने की है. 

कोरोना के बीच दिवाली शॉपिंग 

हिन्दू समाज में किसी भी खास मौके पर लोग अक्सर सोना और ज़ेवर की खरीदारी करते ही हैं. जब बात दिवाली की हो तो लोग ज़ेवर और सोना खरीदारी से पीछे कैसे हट सकते हैं.  हर साल की तरह इस साल भी लोगों के बीच दिवाली पर सोना खरीदने के लिए उत्साह है. प्रशासन ने त्यौहार को देखते हुए कोरोना गाइडलाइन पर रियायत बरती है. इसके कारण ही इस दिवाली रांची के बाजार में लोग खुल कर शॉपिंग करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

मुनाफे की कमाई

बात अगर हम सोना विक्रेता की करें तो लगभग दो साल की कमरतोड़ कोरोना काल के बाद इस साल लोग खरीदारी तो कर  रहे, लेकिन अगर सोना व्यापारी की मानें तो इस साल कुछ खास रौनक देखने को नहीं मिल रही. हालांकि लोग छोटे दामों की चीज़े तो ज़रूर खरीद रहे हैं, लेकिन अब तक मुनाफे की कमाई नहीं हो पायी है.